राजेश कुमार वर्मा
समस्तीपुर,बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज ) । अखिल भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा केन्द्र के निदेशक कमल कान्त सिंह ने कहा की इस केन्द्र में दैनिक कर्मी व स्थाई कर्मी समेत तकरीबन 60 से 80 मजदूरों को इस केन्द्र के माध्यम से रोजी रोटी मुहैया कराई जाति हैं । श्री सिंह ने पत्रकारों को एक भेंट में कहा की इन कर्मियों को केन्द्र सरकार के निर्देशानुसार इपीएफ एंव इ एस आई की सुविधा भी प्रदान की जाति हैं, उन्होंने कहा की इस संस्थान के स्थापना युएसए के वैज्ञानिक ने करीबन सौ वर्ष पहले भारत में उपजाऊ जमीन की खोज करते करते इस क्षेत्र को चुना था और संस्थान की स्थापना की थी । उन्होंने ये भी कहा की उक्त वैज्ञानिक का नाम p अक्षर से शुरू होता था, और यूएसए के रहनेवाले थे । इसलिऐ इस जगह का नाम पूसा रखा गया । परन्तु 1934 के भूकम्प के बाद पुसा से उठाकर दिल्ली में मुख्यालय बनाया गया । श्री सिंह ने कहा की दुनिया में सबसे उपजाऊ जमीन सरैसा की जमीन है । उन्होंने कहा की पूसा की प्रतिष्ठा लौटाने की दिशा में हमारे संस्थान के महानिदेशक ( डीजी) प्रयत्नशील हैं । उन्होंने कहा की 10 अक्टूबर 2018 को पदभार ग्रहण करने के बाद संस्थान के लिऐ कई महत्वपूर्ण कार्य किऐ जा रहे हैं । उन्होंने आशा व्यक्त किया की इस संस्थान के माध्यम से बिहार के किसानों के तकदीर बदलने के कई महत्वपूर्ण महत्वाकांक्षी योजना चलाई जा रही हैं । उन्होने बिहार के किसानों से अपील की की किसी समय किसी भी क्षण फल, सब्जी, दलहन, तेलहन, धान, गेंहु, मक्का, के तौर तरीके की जानकारी लेने हेतु संस्थान में आप लोगों का स्वागत हैं । समस्तीपुर से राजेश कुमार वर्मा
समस्तीपुर,बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज ) । अखिल भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा केन्द्र के निदेशक कमल कान्त सिंह ने कहा की इस केन्द्र में दैनिक कर्मी व स्थाई कर्मी समेत तकरीबन 60 से 80 मजदूरों को इस केन्द्र के माध्यम से रोजी रोटी मुहैया कराई जाति हैं । श्री सिंह ने पत्रकारों को एक भेंट में कहा की इन कर्मियों को केन्द्र सरकार के निर्देशानुसार इपीएफ एंव इ एस आई की सुविधा भी प्रदान की जाति हैं, उन्होंने कहा की इस संस्थान के स्थापना युएसए के वैज्ञानिक ने करीबन सौ वर्ष पहले भारत में उपजाऊ जमीन की खोज करते करते इस क्षेत्र को चुना था और संस्थान की स्थापना की थी । उन्होंने ये भी कहा की उक्त वैज्ञानिक का नाम p अक्षर से शुरू होता था, और यूएसए के रहनेवाले थे । इसलिऐ इस जगह का नाम पूसा रखा गया । परन्तु 1934 के भूकम्प के बाद पुसा से उठाकर दिल्ली में मुख्यालय बनाया गया । श्री सिंह ने कहा की दुनिया में सबसे उपजाऊ जमीन सरैसा की जमीन है । उन्होंने कहा की पूसा की प्रतिष्ठा लौटाने की दिशा में हमारे संस्थान के महानिदेशक ( डीजी) प्रयत्नशील हैं । उन्होंने कहा की 10 अक्टूबर 2018 को पदभार ग्रहण करने के बाद संस्थान के लिऐ कई महत्वपूर्ण कार्य किऐ जा रहे हैं । उन्होंने आशा व्यक्त किया की इस संस्थान के माध्यम से बिहार के किसानों के तकदीर बदलने के कई महत्वपूर्ण महत्वाकांक्षी योजना चलाई जा रही हैं । उन्होने बिहार के किसानों से अपील की की किसी समय किसी भी क्षण फल, सब्जी, दलहन, तेलहन, धान, गेंहु, मक्का, के तौर तरीके की जानकारी लेने हेतु संस्थान में आप लोगों का स्वागत हैं । समस्तीपुर से राजेश कुमार वर्मा