राजेश कुमार वर्मा
दरभंगा,बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज ) । विश्व में दिनों-दिन शिक्षा का स्वरूप बदल रहा है। विश्वविद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शोध के प्रति रुचि बढ़ी है विशेषकर ज्ञान-विज्ञान की नई तकनीक पर आधारित शोध पद्धति का चलन बढ़ा है । ऐसे समय में हम शिक्षकों की जिम्मेदारी है कि नई शोध पद्धति को अपनाकर स्तरीय शोध का वातावरण तैयार करें। उक्त बातें प्रोफ़ेसर मोहम्मद नेहाल, निदेशक ए०पी०जे० अब्दुल कलाम डब्लू० आई ०टी० ,दरभंगा ने कही । प्रोफेसर नेहाल स्थानीय सी०एम० कॉलेज, दरभंगा में तीन दिवसीय कार्यशाला के समापन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि एस०पी०एस०एस केवल समाज विज्ञान के लिए ही नहीं बल्कि सभी विषयों के गुणवत्तापूर्ण शोध में डेटा विश्लेषण के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहां कि नोबेल विजेता रिचर्ड थावर ने भी एस०पी०एस०एस की महत्ता स्वीकार की है। प्रारंभ में अर्थशास्त्र विभागाध्यक्ष प्रोफेसर अवनी रंजन सिंह ने इस कार्यशाला को ऐतिहासिक बताया और कहा की भविष्य में भी इस प्रकार के शैक्षणिक कार्यक्रम होते रहेंगे। डॉ० रीना कुमारी ने तीन दिवसीय कार्यशाला का रिपोर्ट प्रस्तुत किया। डॉक्टर मुश्ताक अहमद, प्रधानाचार्य ने कहा कि आज शिक्षा के क्षेत्र में बड़ा इंकलाब आया है हमें नई तकनीक अपना कर आगे बढ़ना होगा। प्रतिभागियों की ओर से प्रोफेसर अमरेंद्र शर्मा, श्री चंदन ठाकुर एवं डॉ० राफिया काजिम ने अपने विचार रखे और कार्यशाला को कामयाब बताया। मंच संचालन प्रोफेसर विकास कुमार ने किया और धन्यवाद ज्ञापन प्रोफेसर शिप्रा सिन्हा ने किया ।इस समारोह डॉक्टर ज्या हैदर, समन्वयक, आई०क्यू०ए०सी, डॉ० अशोक कुमार पोद्दार, समन्वयक, बी०सी०ए, प्रोफेसर रमन बिहारी लाल, प्रोफेसर नीरज कुमार, प्रोफ़ेसर शशांक शुक्ला, प्रोफेसर अमृत कुमार झा, रवि कुमार एवं विपिन कुमार सिंह आदि उपस्थित थे।