राजेश कुमार वर्मा
दरभंगा/समस्तीपुर, बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज कार्यालय )। देवी आदि शक्ति जगदम्बा के द्वितीय स्वरूप जो मां ब्रह्मचारिणी के रूप में जानी जाती है।
मां ब्रह्मचारिणी के कृपा से भक्तों के कई प्रकार के समस्या से छुटकारा मिलता संभव है। नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना का विधान है। देवी दुर्गा का यह दूसरा स्वरूप भक्तों को अमोघ फल देनेवाला होता है।
शास्त्रों के अनुसार यह देवी पूर्ण ज्योर्तिमय है। ब्रह्म का अर्थ है तप और चारिणी का अर्थ होता है आचरण। यह देवी शांत और निमग्न होकर तप में लीन रहती है परन्तु ये अपने भक्तों की भक्ति और उसके निष्ठा को देखकर उसके पास होती है। इस भगवती के दाहिने हाथ में माला और बांए में कमंडल है। देवी ब्रह्मचारिणी साक्षात ब्रह्म का स्वरूप है। इनके साधना में भक्तों का मन"सवधिष्ठन" चक्र में स्थित होता है। इन भगवती को घी और मोध अर्पण करने से कई प्रकार के बाधाओं से मुक्ति मिलना संभव है।