राजेश कुमार वर्मा
दरभंगा/मधुबनी ( मिथिला हिन्दी न्यूज ) । ज्योतिष पंकज झा शास्त्री जी के अनुसार जीमूतवाहन व्रत (जितिया) इस बार 21 सितंबर 2019 को है। यह व्रत बहुत कठिन से होता है इस व्रत को माताएं अपने पुत्र हेतु करती है। यह व्रत आश्विन मास के कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि में किया जाता है। एक पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शंकर ने माता पार्वती से कहे कि आश्विन कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि को यदि स्त्री लोग पुत्र कामना से शालीवाहन राजा के पुत्र जीमूतवाहन के कुश का प्रतिमा बना कलश के जल में स्थापना कर, कलश के चारों ओर खूब सुगंधित कर उस जगह जल कुंड बना एक पाकैर रोप उस पर गोबर, माटी से चिल्होरिक निर्माण कर और उसके नीचे गीदरनी का आकृति बना रख फिर दोनों के माथे पर सिंदूर लगा पूजा कर या बांस के पत्ते पर पूजा करने से बंस में वृद्धि होती है और पुत्र पर जो भी ग्रह चक्र नाकरात्मक प्रभाव होता है उससे मुक्ति मिलना संभव होता है। और सभी प्रकार के मनोरथ पूर्ण होता है।
इस व्रत को माताएं बिना अन जल ग्रहण किए रखती है। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत के करने से पुत्र कई बाधाओं को सरलता से पार कर लेता है।
इस बार स्त्री लोगों का विशेष भोजन (ओठगन)20 सितंबर रात्रि में 2:13 से2:56तक।
जीमूतवाहन व्रत का पारण 22 सितंबर को दिन के 2:49 के बाद।
अष्टमी तिथि प्रारम्भ 21 सितंबर शनिवार को दिन के 3:42 बजे के बाद।
अष्टमी तिथि समाप्त 22 सितंबर, रविवार को दिन के 2:49 बजे तक।
नोट- अपने अपने क्षेत्रीय पंचांग अनुसार समय सारणी में कुछ अंतर हो सकता है।
पंकज झा शास्त्री