पप्पू कुमार पूर्वे पत्रकार
मधुबनी के जयनगर में अखिल भारतीय मारवाड़ी महिला संगठन के स्थानीय शाखा के तत्वावधान में अंगदान जागरूकता रैली निकाली गयी, कहा अंगदान सबसे बड़ा महादान है।
यह रैली शहर के सत्यनारायण भगवान मंदिर से निकलकर बाजार के मुख्य मार्ग होते हुये अनुमंडल अस्पताल में जाकर समापन हुआ। अभियान का नेतृत्व महिला मोर्चा के स्थानीय अध्यक्ष सुमन देवी सौन्थालिया ने किया।
इस अभियान में कृष्णा जांगिड़, नप के पुर्व मुख्य पार्षद चंद्रा बैरोलिया, तारा डोकानिया, मधु सुरेका, सरिता सुरेका, मंजु सरार्फ, सरिता सरार्फ, अनिता डोकानिया, मुन्नी देवी समेत संगठन के अन्य पदाधिकारी व दर्जनों कार्यकर्ता उपस्थित थे।
इस कार्यक्रम में सहयोग के रूप में मारवाड़ी युवा मंच के अध्यक्ष प्रकाश केशान, उपाध्यक्ष रोहित मोर, रिषभ द्वारुका शामिल थे। जागरूकता कार्यकर्ताओं ने अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को कार्यक्रम से जुड़ा जागरूकता ज्ञापन सौपा।
मारवाड़ी महिला मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने लोगों को जागरूकता फैलाते हुये कहा कि अंगदान से सबसे बड़ा महादान है। इसीलिए मरणोपरांत अपने मुख्य अंगों का दान करे, ताकि किसी आवश्यक रोगियों को नया जीवन मिल सके।
उन्होंने अंगदान के लिए स्वेच्छा से मरने से पुर्व अंग दान की अधिकारिक औपचारिकता के दस्तावेज उचित माध्यम को समर्पित कर नेकी का रास्ता अपनाये।
मधुबनी के जयनगर में अखिल भारतीय मारवाड़ी महिला संगठन के स्थानीय शाखा के तत्वावधान में अंगदान जागरूकता रैली निकाली गयी, कहा अंगदान सबसे बड़ा महादान है।
यह रैली शहर के सत्यनारायण भगवान मंदिर से निकलकर बाजार के मुख्य मार्ग होते हुये अनुमंडल अस्पताल में जाकर समापन हुआ। अभियान का नेतृत्व महिला मोर्चा के स्थानीय अध्यक्ष सुमन देवी सौन्थालिया ने किया।
इस अभियान में कृष्णा जांगिड़, नप के पुर्व मुख्य पार्षद चंद्रा बैरोलिया, तारा डोकानिया, मधु सुरेका, सरिता सुरेका, मंजु सरार्फ, सरिता सरार्फ, अनिता डोकानिया, मुन्नी देवी समेत संगठन के अन्य पदाधिकारी व दर्जनों कार्यकर्ता उपस्थित थे।
इस कार्यक्रम में सहयोग के रूप में मारवाड़ी युवा मंच के अध्यक्ष प्रकाश केशान, उपाध्यक्ष रोहित मोर, रिषभ द्वारुका शामिल थे। जागरूकता कार्यकर्ताओं ने अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को कार्यक्रम से जुड़ा जागरूकता ज्ञापन सौपा।
मारवाड़ी महिला मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने लोगों को जागरूकता फैलाते हुये कहा कि अंगदान से सबसे बड़ा महादान है। इसीलिए मरणोपरांत अपने मुख्य अंगों का दान करे, ताकि किसी आवश्यक रोगियों को नया जीवन मिल सके।
उन्होंने अंगदान के लिए स्वेच्छा से मरने से पुर्व अंग दान की अधिकारिक औपचारिकता के दस्तावेज उचित माध्यम को समर्पित कर नेकी का रास्ता अपनाये।