पप्पू कुमार पूर्वे पत्रकार
मधुबनी के जयनगर के वकालतखाना में अनुमण्डल अधिवक्ता संघ द्वारा हिंदी दिवस पर कार्यक्रम आयोजन किया गया।इस अवसर पर प्रो. शिवकुमार झा व बिमल मस्करा को पाग दुपट्टा से सम्मानित किया गया।कार्यक्रम में वक्ताओं ने हिंदी भाषा के महत्व पर प्रकाश डाला।और कहा कि हिन्दी भाषा सभी भाषाओं में सबसे सहज और सरल है। यह भारत जैसे विशालतम राष्ट्र को एक कोने से दूसरे कोने को जोड़ने और एकजुट रखने का सबसे बेहतर माध्यम है। हिन्दी भाषा सभी भाषाओं सर्व समावेशी भाषा है। इससे अन्य सभी भाषाएं जुड़ी हुई है। आधुनिक समय में लोग पश्चिमी सभ्यता संस्कृति को अपना रहे है, जिससे अंग्रेजी भाषा को तरजीह दी जा रही है। लेकिन सहित्यकारों एवं अन्य बुद्धिजीवियों के द्वारा हिंदी भाषा का संवर्द्धन एवं रक्षण किया जा रहा है। हम सभी को मिल कर मातृभाषा हिन्दी को अपने आनेवाली पीढ़ियों को भी इसके प्रति भावनात्मक लगाव रहे, यह प्रयास करते रहना चाहिए। मिथिला क्षेत्र के वासियों को हिन्दी के साथ-साथ मैथिली भाषा का भी संवर्द्धन करना चाहिए।हिन्दी का इतिहास लगभग एक हजार वर्ष पुराना है।हिंदी हिंदुस्तान की राष्ट्रभाषा ही नहीं बल्कि हिंदुस्तानियों की पहचान भी है।
हमें अपनी मातृभाषा हिंदी को कभी नहीं भूलना चाहिए।इस अवसर पर अनुमंडल अधिवक्ता संघ के महासचिव चंदेश्वर प्रसाद,श्याम किशोर सिंह,प्रोफेसर शिव कुमार झा,बिमल मस्करा,राणा प्रताप सिंह, पवित्र नारायण झा, बिरेन्द्र झा,सूर्यनारायण पूर्वे सहित अन्य लोग उपस्थित थे।
मधुबनी के जयनगर के वकालतखाना में अनुमण्डल अधिवक्ता संघ द्वारा हिंदी दिवस पर कार्यक्रम आयोजन किया गया।इस अवसर पर प्रो. शिवकुमार झा व बिमल मस्करा को पाग दुपट्टा से सम्मानित किया गया।कार्यक्रम में वक्ताओं ने हिंदी भाषा के महत्व पर प्रकाश डाला।और कहा कि हिन्दी भाषा सभी भाषाओं में सबसे सहज और सरल है। यह भारत जैसे विशालतम राष्ट्र को एक कोने से दूसरे कोने को जोड़ने और एकजुट रखने का सबसे बेहतर माध्यम है। हिन्दी भाषा सभी भाषाओं सर्व समावेशी भाषा है। इससे अन्य सभी भाषाएं जुड़ी हुई है। आधुनिक समय में लोग पश्चिमी सभ्यता संस्कृति को अपना रहे है, जिससे अंग्रेजी भाषा को तरजीह दी जा रही है। लेकिन सहित्यकारों एवं अन्य बुद्धिजीवियों के द्वारा हिंदी भाषा का संवर्द्धन एवं रक्षण किया जा रहा है। हम सभी को मिल कर मातृभाषा हिन्दी को अपने आनेवाली पीढ़ियों को भी इसके प्रति भावनात्मक लगाव रहे, यह प्रयास करते रहना चाहिए। मिथिला क्षेत्र के वासियों को हिन्दी के साथ-साथ मैथिली भाषा का भी संवर्द्धन करना चाहिए।हिन्दी का इतिहास लगभग एक हजार वर्ष पुराना है।हिंदी हिंदुस्तान की राष्ट्रभाषा ही नहीं बल्कि हिंदुस्तानियों की पहचान भी है।
हमें अपनी मातृभाषा हिंदी को कभी नहीं भूलना चाहिए।इस अवसर पर अनुमंडल अधिवक्ता संघ के महासचिव चंदेश्वर प्रसाद,श्याम किशोर सिंह,प्रोफेसर शिव कुमार झा,बिमल मस्करा,राणा प्रताप सिंह, पवित्र नारायण झा, बिरेन्द्र झा,सूर्यनारायण पूर्वे सहित अन्य लोग उपस्थित थे।