राजेश कुमार वर्मा
दरभंगा/मधुबनी, बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज ) । ज्योतिष पंकज झा शास्त्री के एक अध्ययन अनुसार हम आप सभी के बीच दुर्गापाठ में निषिद्ध आहुति विचार से अवगत करा रहे है।
"चंडी स्तवे प्रतिश्लोकमेकाहुतीरिहेश्यते। रक्षा कवचागैमंत्रे तत्र न कारयेत।।
अर्थात_ कवच मंत्र एवं अस्त्र शस्त्र मंत्रों का हवन नही होता है। वैसे अगर कवच सिद्ध करना हो तो गुग्गुल व घृत से होम करना चाहिए। क्योंकि घृत से अग्नि का आचमन होता है। सौभाग्य द्रव्य सिंदुरादि का भी होम नही होता है मरण कर्म में सिंदूरादि से अवश्य होता है उसमे तो अग्नि का मृतक संस्कार कुंडानि का होता है पश्चात विधि होम प्रारंभ होता है। चतुर्थ अध्याय के शुलेन पाहिनो देवी इत्यादि चार मंत्रों का हवन नही होता, इसी तरह खडगिनी शूलिनी मंत्र का भी उच्चारण कर हवन नहीं करना चाहिए। उक्त मंत्र के स्थान पर नवार्ण मंत्र से हवन करना उचित होगा। मंत्र को मानसिक उच्चारण कर हवन करें। पांचवे अध्याय में दूत उवाच दो बार आया है इस मंत्र से आहुति देने से फल का भाग दूत को जाता है अतः कर्म फल में न्यूनता आती है। अतः मनसा पढ़कर सरस्वती मंत्र से आहुति प्रदान करना चाहिए।
वैसे आजकल बाजार में कुछ पुस्तकों में इस विषय को लेकर त्रुटि देखी जा रही है, ऐसे में यह ध्यान देना अति आवश्यक है या किसी योग्य से परामर्श जरूरी है। पंकज झा शास्त्री