राजेश कुमार वर्मा
दरभंगा/मधुबनी/समस्तीपुर/बेगूसराय, बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज ) । समूल देश में एक समय वो समय था जब अधिकतर बच्चें सरकारी स्कूलों में पढ़कर किसी बड़े पद को प्राप्त कर लेते थे। आज अब यह समय है जहां सरकारी स्कूलों एवं विश्वविद्यालय के महाविद्यालयों में पढ़ने से बच्चे कतराते है या स्वयं को कमजोर या हीन भावना से देखते है।
एक तरफ सरकारी शिक्षण संस्थान के गुरुजी को मोटी तनख़्वाह पाने के बावजूद संतुष्टि नहीं है तो दूसरी तरफ प्राइवेट शिक्षण संस्थानों द्वारा फीस एवं अन्य सुविधा के नाम पर मोटी रकम वसूली किया जा रहा है। पढ़ाई के नाम पर सिर्फ समय टाईम पास किया जा रहा है। इतना ही नहीं गली मुहल्ला में जगह जगह कुकुरमुत्ते की तरह कोचिंग क्लास खुल गया है। यहां भी मोटी और मनमानी रकम वसूली किया जा रहा है। सरकार इस विषय पर ध्यान नहीं दे रही है। सिर्फ शिक्षा के विकास का ढिंढोरा पीटा जा रहा है।
इस देश का तो सिस्टम ही कमजोर लगता है। इसका मुख्य कारण चुनाव के समय इन्हीं शिक्षकों से तो काम लेना है। कई स्कूलों के शिक्षकों को देखा जाता है कि उनके पास मामूली सामान्य ज्ञान तक नही है तो वे बच्चे को क्या पढ़ाएंगे। जिसको कुछ आता भी है तो उनको अपनी तनख्वाह बढ़वाने के लिए सड़कों पर आंदोलनों से फुर्सत नहीं है वो हरदम आन्दोलन ही करते हुए नजर आते है।
ऐसे में लगता है कि हर जगह से सिर्फ बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। अब यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि बच्चे किस गुरुजी पर भरोसा करे जिससे उनको अच्छी शिक्षा मिल सके ?
शिक्षा के नाम पर सरकार कई करोड़ों रुपए खर्च कर रही है परन्तु सिस्टम को सुधारने की प्रक्रिया पर ध्यान कोई नही दे रहा है। सिर्फ कागजों पर शिक्षा का विकास पदाधिकारियों द्वारा समर्पित करने की प्रक्रिया अग्रतन है। इस संदर्भ में शिक्षण संस्थानों के उपर कार्रवाई करने की मांग प्रेस के माध्यम से युग क्रांति दल किसान प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेश कुमार वर्मा ने जिलाधिकारी सहित राज्य सरकार से किया है ।
दरभंगा/मधुबनी/समस्तीपुर/बेगूसराय, बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज ) । समूल देश में एक समय वो समय था जब अधिकतर बच्चें सरकारी स्कूलों में पढ़कर किसी बड़े पद को प्राप्त कर लेते थे। आज अब यह समय है जहां सरकारी स्कूलों एवं विश्वविद्यालय के महाविद्यालयों में पढ़ने से बच्चे कतराते है या स्वयं को कमजोर या हीन भावना से देखते है।
एक तरफ सरकारी शिक्षण संस्थान के गुरुजी को मोटी तनख़्वाह पाने के बावजूद संतुष्टि नहीं है तो दूसरी तरफ प्राइवेट शिक्षण संस्थानों द्वारा फीस एवं अन्य सुविधा के नाम पर मोटी रकम वसूली किया जा रहा है। पढ़ाई के नाम पर सिर्फ समय टाईम पास किया जा रहा है। इतना ही नहीं गली मुहल्ला में जगह जगह कुकुरमुत्ते की तरह कोचिंग क्लास खुल गया है। यहां भी मोटी और मनमानी रकम वसूली किया जा रहा है। सरकार इस विषय पर ध्यान नहीं दे रही है। सिर्फ शिक्षा के विकास का ढिंढोरा पीटा जा रहा है।
इस देश का तो सिस्टम ही कमजोर लगता है। इसका मुख्य कारण चुनाव के समय इन्हीं शिक्षकों से तो काम लेना है। कई स्कूलों के शिक्षकों को देखा जाता है कि उनके पास मामूली सामान्य ज्ञान तक नही है तो वे बच्चे को क्या पढ़ाएंगे। जिसको कुछ आता भी है तो उनको अपनी तनख्वाह बढ़वाने के लिए सड़कों पर आंदोलनों से फुर्सत नहीं है वो हरदम आन्दोलन ही करते हुए नजर आते है।
ऐसे में लगता है कि हर जगह से सिर्फ बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। अब यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि बच्चे किस गुरुजी पर भरोसा करे जिससे उनको अच्छी शिक्षा मिल सके ?
शिक्षा के नाम पर सरकार कई करोड़ों रुपए खर्च कर रही है परन्तु सिस्टम को सुधारने की प्रक्रिया पर ध्यान कोई नही दे रहा है। सिर्फ कागजों पर शिक्षा का विकास पदाधिकारियों द्वारा समर्पित करने की प्रक्रिया अग्रतन है। इस संदर्भ में शिक्षण संस्थानों के उपर कार्रवाई करने की मांग प्रेस के माध्यम से युग क्रांति दल किसान प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेश कुमार वर्मा ने जिलाधिकारी सहित राज्य सरकार से किया है ।