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हम सबकी माता हिन्दी " है भाग्य विधाता हिन्दी"

राहुल चौधरी


    हिन्दी दिवस के अवसर पर विशेष 

जो सच्चाई है उसको बस सच्चाई ही जानों!!
निज भाषा को पहचानों!!
निज भाषा को पहचानों!!

हम सबकी माता हिन्दी।
है भाग्य विधाता हिन्दी।
इतिहास पढ़ो जानोगे,
भारत निर्माता हिन्दी।

उत्थान कराती हिन्दी।
सम्मान कराती हिन्दी।
जग के कोने कोने से,
पहचान कराती हिन्दी।

हिन्दी में है मौलिकता।
हिन्दी में है नैतिकता।
हिन्दी सरताज हमारी,
हिन्दी में है लौकिकता।
तुम गर्व करो अपने पर फिर गर्व से सीना तानों!!
निज भाषा को पहचानों!!

सम्पुष्ट कराए हिन्दी।
सन्तुष्ट कराए हिन्दी।
हिन्दी है एक जरूरत,
संश्लिष्ट कराए हिन्दी।

हम सबकी आशा हिन्दी।
अपनी परिभाषा हिन्दी।
पहली इच्छा भारत की,
दूजी अभिलाषा हिन्दी।

ये हिन्दुस्तान है हिन्दी।
हम सबकी शान है हिन्दी।
कानों में मिश्री घोले,
रसभरी जुबान है हिन्दी।
हैं हरी भरी शाखाएँ उन शाखाओं को मानों!!
निज भाषा को पहचानों!!

नफरत में फूल है हिन्दी।
मैत्री का मूल है हिन्दी।
हिन्दी है इक रसधारा,
मझधार में कूल है हिन्दी।

हिन्दी विस्तार पटल है।
हिन्दी संसार सकल है।
हिन्दी से आज हमारा,
हिन्दी है तो फिर कल है।

सबका अंदाज है हिन्दी।
सबकी परवाज है हिन्दी।
उत्कृष्ट समुन्नत इतनी,
सच की आवाज है हिन्दी।
पगड़ी सम्भालो इसकी ओ मेरे यार दीवानों!!
निज भाषा को पहचानों!!

हिन्दी हो कर्म हमारा।
हिन्दी हो धर्म हमारा।
अपनाए हम जीने तक,
हिन्दी हो मर्म हमारा।

हिन्दी है कितनी दानी।
हर अक्षर कहे कहानी।
अ से जो है अज्ञानी।
वो ज्ञ से होता ज्ञानी।

हमसे है हिन्दी वन्दित।
तुमसे है हिन्दी वन्दित।
कहना क्या है हिन्दी का,
हिन्दी है महिमा मण्डित।
उत्सव को बड़ा महोत्सव तुम अब करने की ठानो!!
निज भाषा को पहचानों!!
निज भाषा को पहचानों!!

रचनाकार :-- स्वतंत्र शाण्डिल्य




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