राजेश कुमार वर्मा
शिवाजीनगर / समस्तीपुर बी आर सी परिसर में अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस धुम-धाम से मनाया गया। अध्यक्षता करते हुए केआरपी देव कुमार ने कहा कि 21वीं सदी में आज भी विश्व की आबादी का बड़ा हिस्सा निरक्षर है। निरक्षरता किसी भी राष्ट्र के लिये अभिशाप तुल्य है। मानव विकास दर बढ़ाने, अपने अधिकारों को जानने, मिथक, रूढ़िवादिता, अंधविश्वास को दूर करने, सही-गलत को पहचानने व रोजगार के अवसर प्राप्त करने के लिए लोगों को साक्षर होना नितांत आवश्यक है, ताकि इससे परिवार, समाज एवं राष्ट्र की प्रतिष्ठा बढ़ सके। तत्पश्चात केआरपी श्री कुमार के नेतृत्व में शिक्षा सेवकों द्वारा पढ़ी-लिखी जब होगी माता, वह घर की बनेगी भाग्य विधाता, बहुत हुआ अब चुल्हा चौका, बेटियों को दो अब पढ़ने का मौका, जब समाज साक्षर होगा, तब उसका शोषण रूकेगा आदि नारा लगाते हुए लोगो को प्रेरित किया गया। रैली बीआरसी परिसर से शिवाजीनगर बाजार, थाना परिसर, स्वास्थ्य केंद्र, प्रखंड मुख्यालय होते हुए हाई स्कूल पर समाप्त हुई। मौके पर शिक्षा सेवक राम प्रसाद मांझी, दिलीप कुमार रजक, कपिलदेव रजक, विजय कुमार बैठा, शमी अहमद, विजय कुमार निराला, अर्जुन बैठा, रूणा कुमारी, कृष्ण मोहन बैठा आदि शामिल थे।
शिवाजीनगर / समस्तीपुर बी आर सी परिसर में अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस धुम-धाम से मनाया गया। अध्यक्षता करते हुए केआरपी देव कुमार ने कहा कि 21वीं सदी में आज भी विश्व की आबादी का बड़ा हिस्सा निरक्षर है। निरक्षरता किसी भी राष्ट्र के लिये अभिशाप तुल्य है। मानव विकास दर बढ़ाने, अपने अधिकारों को जानने, मिथक, रूढ़िवादिता, अंधविश्वास को दूर करने, सही-गलत को पहचानने व रोजगार के अवसर प्राप्त करने के लिए लोगों को साक्षर होना नितांत आवश्यक है, ताकि इससे परिवार, समाज एवं राष्ट्र की प्रतिष्ठा बढ़ सके। तत्पश्चात केआरपी श्री कुमार के नेतृत्व में शिक्षा सेवकों द्वारा पढ़ी-लिखी जब होगी माता, वह घर की बनेगी भाग्य विधाता, बहुत हुआ अब चुल्हा चौका, बेटियों को दो अब पढ़ने का मौका, जब समाज साक्षर होगा, तब उसका शोषण रूकेगा आदि नारा लगाते हुए लोगो को प्रेरित किया गया। रैली बीआरसी परिसर से शिवाजीनगर बाजार, थाना परिसर, स्वास्थ्य केंद्र, प्रखंड मुख्यालय होते हुए हाई स्कूल पर समाप्त हुई। मौके पर शिक्षा सेवक राम प्रसाद मांझी, दिलीप कुमार रजक, कपिलदेव रजक, विजय कुमार बैठा, शमी अहमद, विजय कुमार निराला, अर्जुन बैठा, रूणा कुमारी, कृष्ण मोहन बैठा आदि शामिल थे।