राजेश कुमार वर्मा/अब्दुल कादिर
ताजपुर /समस्तीपुर,बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज 14 सितम्बर )। डॉ० लोहिया कर्पूरी विश्वेश्वर दास महाविद्यालय ताजपुर में हिन्दी विभाग द्वारा प्रधानाचार्य डॉ० फर्जाना बानो अजीमी के अध्यक्षता एवं विभागाध्यक्ष सह आयोजन सचिव डॉ० विनीता कुमारी के निर्देशन में एक आख्यान का आयोजन किया गया जिसमें शुभारंभ करते हुए डॉ० विनीता कुमारी ने बताया की राष्टपिता महात्मा गांधी ने 1918 में ही हिन्दी साहित्य सम्मेलन में हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनानेक को कहा था और इसे जनमानस का भाषा कहा । हिन्दी दिवस हर साल 14 सितंबर को मनाया जाता है इसलिए की आज ही के दिन सन 1949 को संविधान सभा ने यह निर्णय लिया था की हिन्दी हि राष्ट्रभाषा होगी और इसपर सभी सदस्यों ने एक मत से प्रस्ताव पर सहमति जताई। इस महत्वपूर्ण निर्णय को प्रतिपादित करने तथा हर दिशा में प्रसारित करने के लिए राजभाषा प्रचार समिति बर्धा के अनुरोध पर सन् 1953 से हर वर्ष हिन्दी दिवस आयोजित की जाती है । यह एक तथ्य है कि हिन्दी के पुरोधा राजेंद्र सिन्हा के 50 वें जन्मदिन के अवसर पर हिन्दी दिवस मनाने को अंगीकृत किया गया जिन्होंने हिन्दी को हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने को अथक संघर्ष किया । आजादी के पश्चात हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए काका कालेकर ,मैथिलीशरण गुप्त,हजारी प्रसाद ,महादेवी वर्मा आदि जैसे साहित्यकारों का अहम योगदान रहा है ।प्रधानाचार्य ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में छात्रों को बताया की हिन्दी एक वैज्ञानिक और कर्णकारी भाषा है जिसमें बोलने की शैली ही अलग है ।हम स्वर से व्यंजन तक जितनी भी वर्णों का उच्चारण करते है सबों का आवाज और उच्चारण स्थान अलग है जो हमें बताता है कि यह भाषा अपने आप में धनी है । सभा को डॉ.अविनाश कुमार,रमाशंकर रंजन एवं छात्र निरज कुमार, विकास कुमार, अनिकेत कुमार, राजनंदनी भारती, अनिल, प्रिंस भी संबोधित किया ।मौके पर निशिकांत जायसवाल, रजत शुभ्र दास, डॉ हरिमोहन प्रसाद, डॉ० कुमारी सुषमा सरोज, डॉ० शहनाज आरा, अजीत कुमार, सौरभ कुमार छात्र छात्राओं में गुड़िया, प्रिती, जुली,विकास, अनिल, विक्की, लड्डन, फहद, आरिफ आदि उपस्थित थे ।
ताजपुर /समस्तीपुर,बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज 14 सितम्बर )। डॉ० लोहिया कर्पूरी विश्वेश्वर दास महाविद्यालय ताजपुर में हिन्दी विभाग द्वारा प्रधानाचार्य डॉ० फर्जाना बानो अजीमी के अध्यक्षता एवं विभागाध्यक्ष सह आयोजन सचिव डॉ० विनीता कुमारी के निर्देशन में एक आख्यान का आयोजन किया गया जिसमें शुभारंभ करते हुए डॉ० विनीता कुमारी ने बताया की राष्टपिता महात्मा गांधी ने 1918 में ही हिन्दी साहित्य सम्मेलन में हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनानेक को कहा था और इसे जनमानस का भाषा कहा । हिन्दी दिवस हर साल 14 सितंबर को मनाया जाता है इसलिए की आज ही के दिन सन 1949 को संविधान सभा ने यह निर्णय लिया था की हिन्दी हि राष्ट्रभाषा होगी और इसपर सभी सदस्यों ने एक मत से प्रस्ताव पर सहमति जताई। इस महत्वपूर्ण निर्णय को प्रतिपादित करने तथा हर दिशा में प्रसारित करने के लिए राजभाषा प्रचार समिति बर्धा के अनुरोध पर सन् 1953 से हर वर्ष हिन्दी दिवस आयोजित की जाती है । यह एक तथ्य है कि हिन्दी के पुरोधा राजेंद्र सिन्हा के 50 वें जन्मदिन के अवसर पर हिन्दी दिवस मनाने को अंगीकृत किया गया जिन्होंने हिन्दी को हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने को अथक संघर्ष किया । आजादी के पश्चात हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए काका कालेकर ,मैथिलीशरण गुप्त,हजारी प्रसाद ,महादेवी वर्मा आदि जैसे साहित्यकारों का अहम योगदान रहा है ।प्रधानाचार्य ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में छात्रों को बताया की हिन्दी एक वैज्ञानिक और कर्णकारी भाषा है जिसमें बोलने की शैली ही अलग है ।हम स्वर से व्यंजन तक जितनी भी वर्णों का उच्चारण करते है सबों का आवाज और उच्चारण स्थान अलग है जो हमें बताता है कि यह भाषा अपने आप में धनी है । सभा को डॉ.अविनाश कुमार,रमाशंकर रंजन एवं छात्र निरज कुमार, विकास कुमार, अनिकेत कुमार, राजनंदनी भारती, अनिल, प्रिंस भी संबोधित किया ।मौके पर निशिकांत जायसवाल, रजत शुभ्र दास, डॉ हरिमोहन प्रसाद, डॉ० कुमारी सुषमा सरोज, डॉ० शहनाज आरा, अजीत कुमार, सौरभ कुमार छात्र छात्राओं में गुड़िया, प्रिती, जुली,विकास, अनिल, विक्की, लड्डन, फहद, आरिफ आदि उपस्थित थे ।