राजेश कुमार वर्मा
दरभंगा/ मधुबनी, बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज )। आदि शक्ति जगदम्बा की पुजनोत्सब की तयारी अब अन्तिम चरम पर है। इस बार आश्विन नवरात्र 29 सितंबर 2019 से 8 अक्टूबर 2019 तक चलेगी।
हम आप सभी के बीच कामना अनुसार दुर्गा पाठ के द्वादश क्रम भेद की जानकारी प्रस्तुत कर रहे है।
दुर्गा सप्तशती में तीन चरित्र है, इनको अलग अलग क्रम से करने पर अलग अलग कामना फल विशेष रूप से मिलता है जो निम्न प्रकार से है।
1. महाविद्या क्रम- प्रथम, मध्यम उत्तर चरित्र- सर्व कामना हेतु।
2. महातंत्री- उत्तर, मध्यम प्रथम चरित्र-शत्रु नाश, लक्ष्मी प्राप्ति हेतु।
3. चंडी- उत्तर, मध्यम, प्रथम चरित्र- शत्रु नाश।
4. महा चंडी- उत्तर, प्रथम, मध्यम चरित्र- शत्रु नाश एवं लक्ष्मी प्राप्ति हेतु।
5. सप्तशती- मध्यम, प्रथम, उत्तर चरित्र- लक्ष्मी व ज्ञान प्राप्ति एवं उत्किलन।
6. मृत संजीवनी- मध्यम, उत्तर, प्रथम चरित्र- आरोग्य लाभ।
7. रूप दीपिका- प्रथम, उत्तर, मध्यम चरित्र- विजय व आरोग्य।(रूपं देहि जयं देहि से संपुटित )।
8. निकुंभला- मध्यम, प्रथम, उत्तर चरित्र- रक्षा हेतु, विजय हेतु (शूलेन पाहि नो देवि से संपुटित)।
9. योगिनी- बालोपद्रव शमन।
10. विलोम (संहार क्रम)-701 वें श्लोक से प्रथम श्लोक तक विलोम क्रम से।
11. अक्षरशः विलोम पाठ- तेरहवें अध्याय से प्रथम अध्याय तक काशी के पुराने विद्वानों के पास मिल सकती है।
इसी तरह प्रत्येक चरित्र के पहले भैरव नामावली का पाठ करने का क्रम भी मिलता है।। वैसे कई विद्वानों का यह मानना है कि सप्तशती के बाहर के मंत्र का संपुट नही लगता, परन्तु मै मानता हूं कि योगिनी क्रम से यह साफ जाहिर है कि अन्य मंत्रों के संपुट लग सकते है।
दुर्गा सप्तशती के सभी मंत्र, गायत्री मंत्र, भागवत के मंत्रों का वैदिक मंत्रों का व अन्य कई मंत्रों का संपुट लगाया जा सकता है। दुरगार्चंसृती:, अनुष्ठान प्रकाश में दुर्गा के बाहर के मंत्रों के संपुट के विषय में साफ लिखा है। स्वयं रावण भी निकुंभला का उपासक था वह भी सप्तशती क्रम से पाठन शुलेन पाहिनो......! का संपुट लगाता था।
आप सभी को आगे हम संपुटित पाठ के प्रकार और विधि की जानकारी देने का प्रयत्न करेंगे। पंकज झा शास्त्री
दरभंगा/ मधुबनी, बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज )। आदि शक्ति जगदम्बा की पुजनोत्सब की तयारी अब अन्तिम चरम पर है। इस बार आश्विन नवरात्र 29 सितंबर 2019 से 8 अक्टूबर 2019 तक चलेगी।
हम आप सभी के बीच कामना अनुसार दुर्गा पाठ के द्वादश क्रम भेद की जानकारी प्रस्तुत कर रहे है।
दुर्गा सप्तशती में तीन चरित्र है, इनको अलग अलग क्रम से करने पर अलग अलग कामना फल विशेष रूप से मिलता है जो निम्न प्रकार से है।
1. महाविद्या क्रम- प्रथम, मध्यम उत्तर चरित्र- सर्व कामना हेतु।
2. महातंत्री- उत्तर, मध्यम प्रथम चरित्र-शत्रु नाश, लक्ष्मी प्राप्ति हेतु।
3. चंडी- उत्तर, मध्यम, प्रथम चरित्र- शत्रु नाश।
4. महा चंडी- उत्तर, प्रथम, मध्यम चरित्र- शत्रु नाश एवं लक्ष्मी प्राप्ति हेतु।
5. सप्तशती- मध्यम, प्रथम, उत्तर चरित्र- लक्ष्मी व ज्ञान प्राप्ति एवं उत्किलन।
6. मृत संजीवनी- मध्यम, उत्तर, प्रथम चरित्र- आरोग्य लाभ।
7. रूप दीपिका- प्रथम, उत्तर, मध्यम चरित्र- विजय व आरोग्य।(रूपं देहि जयं देहि से संपुटित )।
8. निकुंभला- मध्यम, प्रथम, उत्तर चरित्र- रक्षा हेतु, विजय हेतु (शूलेन पाहि नो देवि से संपुटित)।
9. योगिनी- बालोपद्रव शमन।
10. विलोम (संहार क्रम)-701 वें श्लोक से प्रथम श्लोक तक विलोम क्रम से।
11. अक्षरशः विलोम पाठ- तेरहवें अध्याय से प्रथम अध्याय तक काशी के पुराने विद्वानों के पास मिल सकती है।
इसी तरह प्रत्येक चरित्र के पहले भैरव नामावली का पाठ करने का क्रम भी मिलता है।। वैसे कई विद्वानों का यह मानना है कि सप्तशती के बाहर के मंत्र का संपुट नही लगता, परन्तु मै मानता हूं कि योगिनी क्रम से यह साफ जाहिर है कि अन्य मंत्रों के संपुट लग सकते है।
दुर्गा सप्तशती के सभी मंत्र, गायत्री मंत्र, भागवत के मंत्रों का वैदिक मंत्रों का व अन्य कई मंत्रों का संपुट लगाया जा सकता है। दुरगार्चंसृती:, अनुष्ठान प्रकाश में दुर्गा के बाहर के मंत्रों के संपुट के विषय में साफ लिखा है। स्वयं रावण भी निकुंभला का उपासक था वह भी सप्तशती क्रम से पाठन शुलेन पाहिनो......! का संपुट लगाता था।
आप सभी को आगे हम संपुटित पाठ के प्रकार और विधि की जानकारी देने का प्रयत्न करेंगे। पंकज झा शास्त्री