राजेश कुमार वर्मा/सुरेश कुमार राय
समस्तीपुर ( मिथिला हिन्दी न्यूज ) । हरितालिका ( तीज ) व्रत आज जिले में उल्लासमय वातावरण में सुहागिन सजधज कर अपने पति की दिर्घायु जीवनकाल के लिऐ शिव - पार्वती की मूर्ति बनाकर पूजा अर्चना किया । समस्तीपुर के चकश्याम नगर ग्राम के सुहागिन रिंकू देवी से हमारे मिथिला हिन्दी न्यूज बेव पोर्टल के ग्रामीण संवाददाता सुरेश कुमार राय ने इस व्रत की महिमा जानने का प्रयास किया । हरितालिका (तीज) व्रत के बारे में जानकारी लेने के लिए उनके आवास पर पहुंचे । इस तीज व्रत पर बात की तो उनसे जानकारी मिली की यह पर्व भादो माह के शुक्ल पक्ष के तृतीया को किया जाता है । इस दिन महिलाएं बिना अन्न - जल ग्रहत किऐ उपवास शुभ मुहूर्त में पूजा अर्चन करती है , पहले पूजा स्थल को शुद्ध कर पवित्र करती हैं उसके बाद गंगा जी के मिट्टी से शिव और पार्वती जी की प्रतिमा बनाई जाती है और पूजा स्थल पर स्थापित करते हुऐ फिर कलश स्थापित करने के बाद दीपक धूप अगरबत्ती जला पूजा किया जाता है । उसके बाद आरती करके संकल्प लिया जाता है फिर उसके बाद शिव पार्वती से अपने सुहाग की लंबी उम्र की कामना करती है । प्रार्थना करती है फिर उसके बाद हरतालिका ( तीज ) व्रत की कथा सुनती है सुनने के बाद पंचमेवा प्रसाद लेकर उपवास पूर्ण करती है । इस दिन महिलाएं अन्न - जल का सेवन नहीं करती है । इस रात को जागरण किया जाता है और पूरी रात भजन कीर्तन करते हैं और सवेरे सूर्य उदय के पूर्व सभी महिलाएं मिलकर नदिया पोखर में कलश विसर्जन करती हैं । उन्होंने मीडिया से बातचीत करने के दौरान यह भी बताई की तीज व्रत को लेकर के सभी महिलाएं पूर्व से ही तैयारी करती रहती है क्योंकि इस हरतालिका तीज व्रत में नया वस्त्र फल फूल चढ़ता हैं जिसको जितना सकती है अर्पित करती है ।
समस्तीपुर ( मिथिला हिन्दी न्यूज ) । हरितालिका ( तीज ) व्रत आज जिले में उल्लासमय वातावरण में सुहागिन सजधज कर अपने पति की दिर्घायु जीवनकाल के लिऐ शिव - पार्वती की मूर्ति बनाकर पूजा अर्चना किया । समस्तीपुर के चकश्याम नगर ग्राम के सुहागिन रिंकू देवी से हमारे मिथिला हिन्दी न्यूज बेव पोर्टल के ग्रामीण संवाददाता सुरेश कुमार राय ने इस व्रत की महिमा जानने का प्रयास किया । हरितालिका (तीज) व्रत के बारे में जानकारी लेने के लिए उनके आवास पर पहुंचे । इस तीज व्रत पर बात की तो उनसे जानकारी मिली की यह पर्व भादो माह के शुक्ल पक्ष के तृतीया को किया जाता है । इस दिन महिलाएं बिना अन्न - जल ग्रहत किऐ उपवास शुभ मुहूर्त में पूजा अर्चन करती है , पहले पूजा स्थल को शुद्ध कर पवित्र करती हैं उसके बाद गंगा जी के मिट्टी से शिव और पार्वती जी की प्रतिमा बनाई जाती है और पूजा स्थल पर स्थापित करते हुऐ फिर कलश स्थापित करने के बाद दीपक धूप अगरबत्ती जला पूजा किया जाता है । उसके बाद आरती करके संकल्प लिया जाता है फिर उसके बाद शिव पार्वती से अपने सुहाग की लंबी उम्र की कामना करती है । प्रार्थना करती है फिर उसके बाद हरतालिका ( तीज ) व्रत की कथा सुनती है सुनने के बाद पंचमेवा प्रसाद लेकर उपवास पूर्ण करती है । इस दिन महिलाएं अन्न - जल का सेवन नहीं करती है । इस रात को जागरण किया जाता है और पूरी रात भजन कीर्तन करते हैं और सवेरे सूर्य उदय के पूर्व सभी महिलाएं मिलकर नदिया पोखर में कलश विसर्जन करती हैं । उन्होंने मीडिया से बातचीत करने के दौरान यह भी बताई की तीज व्रत को लेकर के सभी महिलाएं पूर्व से ही तैयारी करती रहती है क्योंकि इस हरतालिका तीज व्रत में नया वस्त्र फल फूल चढ़ता हैं जिसको जितना सकती है अर्पित करती है ।