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भारतीय मीडिया और इस के बिकाऊ होने का काला इतिहास

राजेश कुमार वर्मा/सौरभ चौधरी

समस्तीपुर ( मिथिला हिन्दी न्यूज ) देश के राज्यों के जिलें में पिछले कुछ दिनों में कई ऐसे मुद्दों पर भारतीय मीडिया ने जिस तरह से राजनीति की उस को देखकर मेरा मन किया कि मैं इन लोगों की नियत और उद्देश्य पर कुछ लिखूँ । इस समय मुझे लगता है कि आज बेईमान लोगों के लिए धन और शक्ति जल्दी से कमाने का बहुत बढ़िया जरिया है एक न्यूज़ चैनल, न्यूज़ पेपर या न्यूज़ वेबसाइट खोल लेना । बस शुरूआती इन्वेंस्टमेंट और उस के बाद आप किसी राजनैतिक दल के ऑफिस में जाकर खुद को बेच दीजिये और फिर बस उस पार्टी के एजेंडे को दिन रात अपने न्यूज़ चैनल, न्यूज़ पेपर या वेबसाइट पर चलाइये और नोट कमाइए । ऐसे अनगिनत न्यूज़ चैनल, पेपर और वेबसाइट इस समय इस काम में दिन रात लगे हुए हैं । आपको इनकी न्यूज़ से ही अंदाज़ा लग जायेगा कि ये किस राजनैतिक दल के ऑफिस में जाकर बिका है । लोकतंत्र का कथित चौथा स्तम्भ ही जब ऐसा बिकाऊ हो तो फिर क्या होगा इस लोकतंत्र का । यही वजह है कि यदि आज कोई न्यूज़ एजेंसी सच का साथ देकर सही न्यूज़ दिखाने की कोशिश भी करे तो जनता को उस पर विश्वाश नहीं होता और जनता ये समझने की कोशिश करती है कि ये किस पार्टी के कहने पर हो रहा होगा | मैं ये नहीं कहूँगा कि पत्रकारिता से जुड़े सारे लोग ही बिके हुए हैं । इनमें से कई ईमानदार और निस्पक्ष भी हैं । इन सभी बिकाऊ न्यूज़ एजेंसी के पत्रकारों को देखिये अब आप । ...??? उन के फेसबुक या ट्विटर अकाउंट पर जाकर उन के मैसेज पढ़िए । वो तो कहीं से भी दूर दूर तक निस्पक्ष नहीं हैं । बस दिन रात एक एजेंडा कि आज इस नेता/पार्टी के खिलाफ बोलो और कल उस नेता/पार्टी के | इन की कमाई का भी कोई ठिकाना नहीं है । एक न्यूज़ एजेंसी के पत्रकार की आखिर कितनी वैद्य तनख्वाह होगी .??? लेकिन इन लोगों के ठाटबाट देखकर ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि इनकी असली कमाई कितनी ज्यादा है । आखिर कहाँ से आ रहा है इतना पैसा .?? कौन दे रहा है और किसलिए दे रहा है. ??
इस देश में हुए कई विवादों पर इन पत्रकारों की प्रतिक्रिया ही देख लीजिये । किस दंगे को दंगा मानना है और किसे बस दो गुटों की लड़ाई, किस भ्रष्टाचार को भ्रष्टाचार मानना है और किसे बस हिसाब किताब में अनजाने में हुई गलती, किस भाषण को भड़काऊ मानना है और किसे बस गुस्से और दर्द में निकले हुए शब्द, किस भाषण को देशविरोधी मानना है और किसे अभिव्यक्ति की आज़ादी, किस नेता को अनपढ़ मानना है और किसे शिक्षित न होते हुए भी महाज्ञानी, किस व्यक्ति के पास से हथियार बरामद होने पर उसे अपराधी मानना है और किसे बस मासूम, किस व्यक्ति के द्वारा शराब पी कर गाडी चलाने से लोगों के मरने पर उसे सजा होनी चाहिए और किस व्यक्ति द्वारा ऐसा करने पर उसे बेक़सूर कहना चाहिए, किस नेता के बेटे या बेटी के राजनीति में आने पर उसे उस की क़ाबलियत का परिणाम बताना है और किस नेता के बेटी/बेटे के राजनीति में आने को परिवारवाद ? हार्दिक पटेल, कन्हैया कुमार, उमर खालिद आदि लोगों को किस ने चमकाया ? किस ने इनको इस देश की आवाज और भविष्य साबित किया ? ये सब इन्ही लोगों के फैलाये हुए झूठ के उदाहरण हैं ।
यहाँ मैं नेताओं की बात नहीं करूँगा क्योंकि भारतीय राजनीति में व्यक्ति/पार्टी विरोध में किसी भी गलत इंसान को सही और सही इंसान को गलत की तरह बताना कोई नयी बात नहीं है । लेकिन अब हमारे कथित निष्पक्ष मीडिया के लोग भी इसी काम में जुटे हुए हैं । पहले कम से कम टी आर पी बढ़ाने के चक्कर में ही ये लोग कुछ सही न्यूज़ दिखा देते थे लेकिन अब तो वो भी डर नहीं है । अब क्या करना है टी आर पी का जब कि राजनैतिक पार्टियों और देशविरोधी ताकतों द्वारा ही इतनी कमाई हो जाती है ।
खैर ये तो नहीं सुधरेंगे । जनता से हम यही कहेंगे कि ऐसे न्यूज़ चैनल, पेपर और वेबसाइट को देखना/पड़ना बिलकुल बंद कर दीजिये । इन पर आपको सिर्फ झूठ बोलकर गुमराह ही किया जायेगा और जमीनी हकीकत से कोषों दूर रखने का काम किया जाएगा । 

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