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टीचर्स डे के शुभ अवसर पर सेमिनार का आयोजन किया गया

राजेश कुमार वर्मा/अमित कुमार 

समस्तीपुर ( मिथिला हिन्दी न्यूज ) । समस्तीपुर जिले के पटोरी अनुमंडल क्षेत्र क जी एम आर डी कॉलेज, मोहनपुर में 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के अवसर पर गांधी का शिक्षा दर्शन और समकालीन चुनौतियाँ विषय पर सेमिनार आयोजित की गई। सर्वप्रथम मंचासीन अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलित कर और राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवकों द्वारा केक काटकर सेमिनार का उद्घाटन किया गया। महाविद्यालय के दो पूर्व शिक्षक प्रोफेसर भुवनेश्वर राय, राजनीति विज्ञान विभाग, डॉ० कृष्णदेव राय, भौतिक शास्त्र विभाग और प्रोफेसर दयानिधि राय, सेवानिवृत्त प्राध्यापक, अर्थशास्त्र विभाग, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय को चादर और फूल से सम्मानित किया गया। सेमिनार की अध्यक्षता सह स्वागत भाषण प्रधानाचार्य डॉ० घनश्याम राय ने की। उन्होंने स्वागत भाषण सह अध्यक्षीय भाषण में कहा कि आधुनिक भारत के लिए शिक्षा जिसे राष्ट्रीय प्रणाली का पहला ब्लूप्रिंट कहा जा सकता है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की शिक्षा की वर्धा योजना या बेसिक शिक्षा में दी गई थी। गांधी ने कहा कि शिक्षा से मेरा मतलब है कि बच्चे और आदमी में सर्वश्रेष्ठ से बाहर का एक सर्वांगीण चित्रण शरीर, मन और आत्मा। गांधीजी की ईच्छा थी कि शिक्षा प्रणाली स्वावलंबी हो और प्रत्येक लड़का या लड़की शिल्प या व्यावसायिक कौशल सीखकर आत्मनिर्भर बनें। गांधी के बेसिक शिक्षा का उद्देश्य आत्मनिर्भर और अच्छे नागरिक पैदा करना था। गांधी ने प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में देने की जरूरत बताई। मुख्य वक्ता प्रोफेसर दयानिधि राय ने कहा कि शिक्षा हमको जीवन जीने की कला देता है। जिस किसी से भी ज्ञान प्राप्त होता है वह हमारा शिक्षक है। शिक्षक गलती करता है तो पीढ़ी दर पीढ़ी बर्बाद होती है। शिक्षक मृत्युपर्यन्त शिक्षक होता है। गांधी ने कहा कि शिक्षा वह है जो शरीर, आत्मा और मस्तिष्क को जोड़े। हमारे विचार सही होंगे तो हमारे व्यवहार भी अच्छे होंगे। नैतिक शिक्षा, बुनियादी शिक्षा,छात्राओं की शिक्षा पर ज्यादा जोड़ दिए। गांधी का विचार था कि शिक्षा सभी को और समानता के आधार पर मिलनी चाहिए। इस अवसर पर समस्तीपुर जिला के योजना पदाधिकारी राजेश कुमार अपने टीम के साथ उपस्थित थे। उन्होंने गांधी के शिक्षा दर्शन की चर्चा करते हुए कहा है कि बिहार सरकार आर्थिक हल युवाओं के बल कार्यक्रम के अंतर्गत मुख्यमंत्री योजना के तहत बिहार स्टूडेंट क्रेडिट योजना के द्वारा सभी छात्र छात्राओं को अध्यनरत रहने के लिए आर्थिक सहायता दी जाती है। इस कार्यक्रम कि उधेश्य है कि आर्थिक अभाव के कारण कोई विधार्थी उच्च शिक्षा से वंचित नहीं रहे। प्रोफेसर रामागर प्रसाद ने कहा कि शिक्षक देश और काल से पड़े होता है। अमीरों का नाम उस काल में कोई नहीं जानता लेकिन ज्ञानी और बौद्धिक लोगों को सभी जानते हैं। प्रोफेसर दिनेश प्रसाद ने कहा कि चारित्रिक शिक्षा की ज्यादा जरूरत है। प्रोफेसर संतोष कुमार ने कविता के माध्यम से शिक्षा की महत्ता को बताया। डॉ अफशॉ बानो ने सर्वपल्ली डॉ राधाकृष्णन की जीवनी को विस्तार से बताया।
स्वागत गीत बिन्दु कुमारी और पूनम कुमारी ने गाया। छात्र उदय कुमार झा,अजय कुमार, मंतोष कुमार, अभिजीत कुमार आदि ने भी कविता, गीत और भाषण के माध्यम से अपनी बातें रखीं। महाविद्यालय के शिक्षकेत्तर कर्मचारी क्रमशः युगल किशोर राय,रामदयाल राय, अशेश्वर राय, रत्नेश कुमार सिंह, वीरेंद्र राय, ब्रजेश, संजय, संजीत, मंजू देवी, ममता कुमारी उपस्थित थे। छात्रसंघ अध्यक्ष सरोज कुमार, कोषाध्यक्ष निखिल कुमार आदि मौजूद थे। महाविद्यालय के राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवकों के बीच विशेष शिविर में भाग लेने का सर्टिफिकेट वितरण किया गया । मंच संचालन सह धन्यवाद ज्ञापन आयोजन सचिव डॉ लक्ष्मण यादव ने किया। 

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