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पांच सितम्बर पर शिक्षक दिवस की होर

राजेश कुमार वर्मा/अब्दुल कादिर

समस्तीपुर ( मिथिला हिन्दी न्यूज ) । पांच सितम्बर को शिक्षक दिवस के रूप में लोग मनाते है। बताते चलें कि साबित्री बाई फुले देश की पहली महिला अध्यापिका थी, जिनका जन्म 03 जनवरी 1831 ई0 में हुआ था। भारत के इतिहास में यह महिला शक्ति कारण का जीता जागता उधारण है, जिसे शिक्षा जगत में इन्हें अध्यन करना चाहिए। फिर सर्व पललवी राधा कृष्ण का भी इस शिक्षा जगत कि उधारण हम सर्वांपरी मानते हैं। परन्तु आज इस आधुनिक जीवन में ऐसा कहाँ। पूर्व के समय में गुरु का ऐसा महत्व था कि अति प्राचीन काल, मध्य काल इस का जीता जागता उधारण है। परंतु आज शिक्षा जगत का ऐसा वातावरण हो गया, कि शिक्षक इस तारीख को बच्चों के द्वारा खर्च कराकर पिकनिक का स्वरूप देते है तथा केक काट कर मिठाई खिलाते है। कुछ पाठशाला ऐसा भी है जो बच्चों पर इस कार्यक्रम के लिए काफी दबाव डालते है एवं विधालय कार्यक्रम में शामिल कर अपने अपने घर से शिक्षक एवं शिक्षकाओं के लिए कीमती उपहार लाने के लिए मजबूर कर देते हैं। आज के दिन में सावित्री बाई फुले एवं राधाकृष्णन ऐसे महान शिक्ष बीन याद कर बच्चों को उनकी जीवनी के बारे में बताना चाहिए और उनके बताये हुए मार्ग दर्शन पर चलने का बच्चों को ज्ञान देना चाहिए। 

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