महिलाओं के लिए विशेष पर्व करवाचौथ व्रत इसवार 17 अक्टूबर, गुरुवार को मनाई जाएगी: ज्योतिष पंकज झा शास्त्री
राजेश कुमार वर्मा
दरभंगा/मधुबनी, बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज कार्यालय ) । कार्तिक मास कृष्ण पक्ष चतुर्थी को मनाए जाने वाला महिलाओं के लिए विशेष पर्व करवाचौथ व्रत इसवार 17 अक्टूबर, गुरुवार को मनाई जाएगी।
लगभग 70 वर्ष बाद ऐसा संयोग देखने को मिला है कि रोहिणी नक्षत्र और मंगल का विशेष योग अधिक मंगलकारी बना रहा है। ऐसा संयोग को हजार गुण फल देने के बराबर माना जाता है। रोहिणी नक्षत्र का होना अपने आप में यह अद्भुत संयोग है। ऐसा माना जाता है कि यह योग भगवान श्री कृष्ण और सत्यभामा के मिलन के समय भी बना था।
करवा चौथ जो दो शब्द से मिलकर बना हुआ है प्रथम करवा द्वितीय चौथ करवा का मतलब मिट्टी का बर्तन होता है जबकि चौथ का मतलब चतुर्थी है। इस दिन मिट्टी के पात्र का विशेष महत्व होता है।
एक पौराणिक कथा के अनुसार माता पार्वती ने शिव को प्राप्त करने के लिए यह वर्त रखा। एक और पौराणिक कथा के अनुसार जब राजा बलि ने भगवान विष्णु को कैद कर लिया था जिसके बाद मां लक्ष्मी ने करवा चौथ व्रत रख कर उन्हें मुक्त कराया। इस दिन बृहसपतिवार होने से इस व्रत का और भी विशेष महत्व बढ़ जाता है कारण यह दिन साक्षात विष्णु का दिन होता है। इस व्रत को सुहागिन महिलाएं अपने सुहाग की लंबी आयु हेतु रखती है परन्तु यह व्रत पुरषों के लिए भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि महिलाओं के लिए इसलिए पत्नी के साथ साथ पति को भी यह व्रत रखना चाहिए। महिलाएं इस दिन बिना अन जल ग्रहण किए हुए पूजा विधिवत या परंपराओं के अनुसार करके रात में चलनी और और चांद के बीच अपने पति को देखती है और उनसे आशीर्वाद प्राप्त कर उनके हाथों से जल ग्रहण करती है। जिनके पति दूर परदेश होते है तो तस्वीर को सामने रखकर देखती है। वैसे भी आज टेक्निकल दुनिया में विडियो कलिंग होता है जिससे यह दूरियां भी नजदीकी बन गई है। मिथिला में वैसे यह करवा चौथ बहुत कम महिलाएं ही रखती है परन्तु यह भी सत्य है कि अब इस व्रत को करने वाली महिलाओं की संख्या बढ़ रही है। पंकज झा शास्त्री
राजेश कुमार वर्मा
दरभंगा/मधुबनी, बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज कार्यालय ) । कार्तिक मास कृष्ण पक्ष चतुर्थी को मनाए जाने वाला महिलाओं के लिए विशेष पर्व करवाचौथ व्रत इसवार 17 अक्टूबर, गुरुवार को मनाई जाएगी।
लगभग 70 वर्ष बाद ऐसा संयोग देखने को मिला है कि रोहिणी नक्षत्र और मंगल का विशेष योग अधिक मंगलकारी बना रहा है। ऐसा संयोग को हजार गुण फल देने के बराबर माना जाता है। रोहिणी नक्षत्र का होना अपने आप में यह अद्भुत संयोग है। ऐसा माना जाता है कि यह योग भगवान श्री कृष्ण और सत्यभामा के मिलन के समय भी बना था।
करवा चौथ जो दो शब्द से मिलकर बना हुआ है प्रथम करवा द्वितीय चौथ करवा का मतलब मिट्टी का बर्तन होता है जबकि चौथ का मतलब चतुर्थी है। इस दिन मिट्टी के पात्र का विशेष महत्व होता है।
एक पौराणिक कथा के अनुसार माता पार्वती ने शिव को प्राप्त करने के लिए यह वर्त रखा। एक और पौराणिक कथा के अनुसार जब राजा बलि ने भगवान विष्णु को कैद कर लिया था जिसके बाद मां लक्ष्मी ने करवा चौथ व्रत रख कर उन्हें मुक्त कराया। इस दिन बृहसपतिवार होने से इस व्रत का और भी विशेष महत्व बढ़ जाता है कारण यह दिन साक्षात विष्णु का दिन होता है। इस व्रत को सुहागिन महिलाएं अपने सुहाग की लंबी आयु हेतु रखती है परन्तु यह व्रत पुरषों के लिए भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि महिलाओं के लिए इसलिए पत्नी के साथ साथ पति को भी यह व्रत रखना चाहिए। महिलाएं इस दिन बिना अन जल ग्रहण किए हुए पूजा विधिवत या परंपराओं के अनुसार करके रात में चलनी और और चांद के बीच अपने पति को देखती है और उनसे आशीर्वाद प्राप्त कर उनके हाथों से जल ग्रहण करती है। जिनके पति दूर परदेश होते है तो तस्वीर को सामने रखकर देखती है। वैसे भी आज टेक्निकल दुनिया में विडियो कलिंग होता है जिससे यह दूरियां भी नजदीकी बन गई है। मिथिला में वैसे यह करवा चौथ बहुत कम महिलाएं ही रखती है परन्तु यह भी सत्य है कि अब इस व्रत को करने वाली महिलाओं की संख्या बढ़ रही है। पंकज झा शास्त्री