राजेश कुमार वर्मा
दरभंगा/मधुबनी, बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज कार्यालय ) । उल्लू पक्षी को धन एवं समृद्धि का प्रतीक माना जाता है साथ ही उल्लू को माता लक्ष्मी जी का वाहक भी कहा जाता है। उल्लू एक चालाक और चतुर पक्षी है, परन्तु कुछ लोगों के बीच इस पक्षी को मूर्ख समझा जाता है इसलिए कहते है कि जैसे हमने उसे उल्लू बना दिया यानी कि मूर्ख बना दिया। लेकिन वास्तव में उल्लू चतुर प्राणी है, उल्लू को निशाचर प्राणी भी कहा जाता है। बाल्मीकि रामायण में उल्लू को मूर्ख के स्थान पर अति चतुर कहा गया है। भगवान राम जब रावण को मारने में सफल नही हो पाते उसी समय उनके पास रावण का भाई विभीषण आता है, तब सुग्रीव प्रभु राम से कहते है कि उन्हें शत्रु के उलूक चतुराई से बचना चाहिए। तंत्र शास्त्र के अनुसार जब माता लक्ष्मी एकांत, सुने स्थान, अंधेरे, खंडहर पाताल लोक आदि स्थानों पर जाती है तब वह उल्लू पर सवार होती है इसलिए उन्हें उलूक वाहिनी भी कहा जाता है। लिंग पुराण में भी कहा गया है कि नारद मुनि ने मानसरोवर वासी उलुक (उल्लू) से संगीत शिक्षा ग्रहण करने के लिए उपदेश लिया था। इस उल्लू पक्षी की हू हू हू सांगीतिक स्वरों भी निकलती है। उल्लू का हू हू हू करना उच्चारक मंत्र है। यह ऐसा प्राणी है जब पूरी दुनिया सोती है तब यह जागता है। उल्लू अपने गर्दन को लगभग 170 अंश तक घुमा सकता है। उल्लू सदैव व्यक्ति को शुभ अशुभ का संकेत करके सतर्क करता है। यह कहना उचित होगा कि यदि उल्लू रात में पास बैठ कर आवाज करे तो यह मंगल कार्य सूचक है, दक्षिण दिशा में उल्लू की आवाज सुनने पर उस व्यक्ति के शत्रु का नाश होता है। पूर्व दिशा में और वृक्ष पर बैठे उल्लू को देखने पर और उसकी आवाज सुनने पर व्यक्ति को धन लाभ होता है। कहा जाता है कि कोई भी घटना घटने से पहले ही उल्लू को पता चल जाता है इस कारण कुछ लोग इसे अप सगुण का प्रतीक मानते है जो उचित नही है। यह अच्छी बात है कि घटना घटने से पहले ही हमे उल्लू के संकेत से सतर्क की तरफ इशारा करता है। एक कथा के अनुसार कहा जाता है कि जब माता लक्ष्मी जव पृथ्वी लोक पर आमावस की रात भ्रमण के लिए निकली तब सभी पशु पक्षी सोए हुए थे उस समय उल्लू जाग रहा था उल्लू को जागते देख माता लक्ष्मी बहुत प्रसन्न हुई और माता ने उल्लू को अपना वाहक बनाई। वैसे लोगों के बीच में उल्लू को लेकर अलग अलग धारणाएं और मान्यताएं प्रचलित है। आज कुछ ढोंगियों के द्वारा अंधविश्वास फैलाए जाने के कारण ही दीपावली के आमावस्या के रात्रि में उल्लू पक्षी को बलि दे दिया जाता है हम यह कह सकते है कि इसकी हत्या कर दी जाती है। किसी भी तांत्रिक प्रक्रिया में उल्लू की बलि देना उचित नही है। इस तरह के लोग सिर्फ ढोंगी ही हो सकते है। इस तरह उल्लू पक्षी की हत्या करने बालेे को में खुला चुनौती देता हूं कि वह उसके पास किसी भी प्रकार की तंत्र शक्ति नही हो सकती। कारण तंत्र विद्या सिर्फ हितकारी ही होती है। लोगों से भी आग्रह करता हूं कि उल्लू मां लक्ष्मी की वाहक माना गया है इसलिए उल्लू को बलि देना उचित नही है यह भी कहना उचित होगा कि उल्लू की हत्या करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न नही हो सकती। उल्लू को बचाने और इसकी पूजा करने से धार्मिक दृष्टि और वैज्ञानिक दृष्टि से भी लाभ दायक है। अतः उल्लू को बचाने में अपना योगदान समर्पित करे।
मां लक्ष्मी की कृपा आप सभी पर बनी रहे। जय माता दी।
पंकज झा शास्त्री