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मिथिला नगरी में आस्था और विश्वास का चार दिवसीय महा पर्व छठ पूजा नहाय खाय के साथ ही हुआ शुरू


राजेश कुमार वर्मा

मधुबनी, बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज कार्यालय ) । आस्था और विश्वास का चार दिवसीय महा पर्व छठ पूजा की तैयारी अब अंतिम चरण पर है, लोग घाटों की साफ़ सफाई मे अंतिम रूप दे रहे है! बाज़ारों मे भी छठ पूजा को लेकर रौनक देखी जा रही है, परदेशी भी अपने गाँव की तरफ छठ पूजा मे अपने गाँव की तरफ प्रस्थान कर रहे है! य़ह पर्व विहार मे तो प्रसिद्ध है ही साथ ही इस पर्व को अन्य प्रांतों के लोग भी करते हुए दिखते है! लोग छठ पूजा मे पूरे परिवार के साथ बढ़ चढ़ कर सम्मलित होते दिखते है! लोगों मे छठ पूजा को लेकर आस्था और विश्वास बढ़ा है जिससे इस पर्व का दायरा बढ़ा है!
सुख समृद्धी का य़ह चार दिवसीय महान पवित्र पर्व इस बार 31 अक्तूबर 2019 गुरुवार से नहाय खाय के साथ प्रारम्भ हो गया है जो 3 नवंबर 2019 रविवार तक मनाई जायेगी! इस त्योहार को छठ पूजा, सूर्य षष्ठी, ठकुआ पर्व एवं अन्य कई नामों से जाना जाता है! सूर्योपासना का य़ह पर्व सबसे पहले सूर्य ने ही किया किया एसा माना जाता है कि सूर्य ने अपनी बहन षष्ठी पूजा किए इसके बाद सुकन्या ने अपने पति को रोगों से मुक्ति दिलाने के लिए सूर्योपासना की अन्य कई कथा और भी प्रचलित है! सूर्योपासना के बारे मे हमें रामायण काल मे भी मिलता है जिसे भगवती सीता प्रभु राम के साथ की और द्वापर मे द्रोपदी के द्बारा भी किया गया जिससे फिरसे पाण्डवों को राज्य मिला, इस पर्व को सूर्य के तेजस पुत्र कर्ण द्बारा भी किया गया! कहा जाता है कि कर्ण के द्बारा सूर्य पूजा के बाद दान दिया जाता था, कर्ण के पास से कोई खाली नहीं जाता था! तब से अब तक लोग इस पवित्र पर्व को करते आ रहे है! विज्ञान के दृष्टि से भी देखा जाय तो य़ह पर्व बहुत ही लाभ दायक है कारण कमर से ऊपर तक जल मे खरा होकर सूर्य के पहली और अंतिम किरण को प्राप्त करने से कई प्रकार से नकारात्मक प्रभाव कम होता है तथा सन्तान सुख पाने मे भी कठिनाई नहीं होने की संभावना होती है! वेसे तो कुछ विद्वानों का मानना है कि सूर्य ग्रह है परंतु मैं सूर्य को ग्रह नहीं मानता कारण जो अपने से प्रज्वलित होकर दूसरों को भी प्रकाशमय करे वह ग्रह नहीं हो सकता इसलिए सूर्य को हम पिंड कह सकते है!
सूर्यपासना सुख, समृद्धी एवं परिवार के कल्याण हेतु किया जाता है जो नियम निष्ठा के साथ किया जाता है!

इस त्योहार मे सूर्य को अपने राशि अनुसार भी प्रसन्न कर सकते है! इस बार प्रात:कालीन अर्घ रविवार को होगा जो सूर्य का अपना दिन होता है इसे मे हम सभी को राशि के अनुसार भी सूर्य को प्रसन्न करना चाहिए!
जैसे - मेष राशि के जातक को हल्दी सूर्य को अर्पण करे, वृष - निम्बु, मिथुन - गन्ने का जूस, कर्क - अनार, सिंह - गुर का लड्डू, कन्या - गाय दूध, तुला - गाय घि, धनु - तिल का लड्डू, मकर - केला, कुम्भ - गंगा जल, मिन - कुश का फूल या पीला फूल अर्पण कर सकते है!
31/10/2019 गुरुबार - नहाय खाय(चौथ तिथि)
1/11/2019 शुक्रबार - खरना (पंचमी तिथि)
2/11/2019 शनिबार - संध्या कालीन अर्घ (षष्ठी तिथि) सूर्योदय 6:29 बजे, सूर्यास्त 5:31 बजे, अर्घ समय संध्या 5:5 से 5:31 तक!
3/11/2019 रविबार (सप्तमी)
सूर्योदय 06:30 बजे, सूर्यास्त 5:30 बजे, अर्घ देने का समय प्रा 6:30 से 07:1 बजे तक!
नोट - अपने क्षेत्र के पंचांग के अनुसार सूर्य उदित और सूर्य अस्त समय मे अन्तर हो सकता है!
पंकज झा शास्त्री


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