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कुछ चिकित्सक के कारण चिकित्सा पेशा हो रहा शर्मसार, रेफर के एवज में 50 हजार रू० तक वसूलते अस्पताल संचालक से घर,जमीन,गहने बेचकर इलाज कराने को परिजन को कर देते मजबूर




दलाली में महंगी गाड़ी लेते हैं चिकित्सक

गैरजरूरी जांच से कमाते हैं लाखों रुपए

रेफर रिकार्ड से पता चलता, खास अस्पताल में पटना, दरभंगा करते रेफर

राजेश कुमार वर्मा

समस्तीपुर,बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज कार्यालय 31 अक्टूबर 2019 ) । समस्तीपुर शहर के कुछ चिकित्सक के कारण दूसरा भगवान अर्थात डाक्टर आज डाकू बनकर रह गये हैं। इनके काले कारनामे से चिकित्सा पेशा हो रही है शर्मसार। अपने अंडर में रखकर ईलाज करने से वे जितना नहीं कमाते, रेफर करने में इससे कई गुणा अधिक कमाते। पहले गैरजरूरी जांच मसलन पेशाब, पैखाना, बलगम फिर एक्सरे, ईसीजी, अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन इत्यादि गैर जरूरी जांच कर रोगी का दोहन करते। फिर अपनी ही कंपनी की दवा देकर हजारों रूपये ऐंठते।बाबजूद इसके और मोटी रकम के उद्देश्य से रोगी को पहले से तयशुदा अस्पताल में दरभंगा एवं पटना रेफर करते। इसके एवज में निजी अस्पताल संचालक से कभी महंगी गाड़ी, पियाजोजेरो, क्रेटा तो कभी 50 हजार रूपये तक कमीशन वसूलते।परिणामस्वरुप परिजनों को अपना घर- वार, जमीन- जायदाद, गहने-गेठी बेचकर चिकित्सक को मोटी रकम देना पड़ता। प्रायः रूपये की लालच में चिकित्सक मरे हुए रोगी को भी आईसीयू में एक- दो दिन ईलाज करते रहते। ऐसे अस्पताल अक्सर मरीज को तो छोड़िये,लाश तक को बंदी बनाकर मोटी रकम परिजन से वसूली करते हैं। आज कई महंगे अस्पताल में गंभीर बीमारी का बहाना बनाकर मरीज रेफर करने का सिलसिला चरम पर है।मेडिकल पेशा में दलाली एवं कमीशनखोरी की असीम संभावना को देखते हुए आज शहर से लेकर ग्रामीण स्तर तक निजी जांच घर से लेकर निजी अस्पताल तक धड़ल्ले से देखे जा सकते हैं। चाय- पान की दुकान से लेकर टोला- मुहल्ला स्तर तक दलाल गिद्ध दृष्टि लगाये मडराते रहते हैं। कुकुरमुत्ते की तरह उग आये जांचघर में न कोई प्रशिक्षित जांचकर्ता और न ही टेक्नीशियन या चिकित्सक रहते हैं।जांचकर्ता द्वारा पूर्जे पर दर्ज कोड के अनुसार जांच रिपोर्ट देकर रोगी को भ्रम में डालकर वसूली का खेल शुरू हो जाता है। इस आशय की जानकारी देते हुए भाकपा माले जिला कमेटी सदस्य सुरेंद्र प्रसाद सिंह के साथ ही युग क्रांति दल किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेश कुमार वर्मा ने हमारे संवाददाता को कहा कि आजकल समस्तीपुर शहर में यह धंधा ज्यादा फल-फूल रहा है। शिकायत करने पर स्वाथ्य विभाग, जिला प्रशासन सरकार की गलत नीति का बहाना बनाकर पल्ला झाड़ लेते हैं। इस मामले में राजनीतिक दल, जनप्रतिनिधि की चुप्पी भी जिम्मेवार है। नेता द्वय ने कहा कि बड़े दायरे का जनांदोलन से ही आशा की किरण फूट सकती है। ऐसी तैयारी जोरदार तरीक़े से से किया जा रहा है। 

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