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ग्रह को अपने अधीन करने वाली मां कालरात्रि के स्वरूप सिर्फ दुष्टों के लिए ही भयानक दिखती है :ज्योतिष पंकज झा शास्त्री



राजेश कुमार वर्मा

दरभंगा/मधुबनी, बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज ) । मां काल रात्रि की पूजा नवरात्र में बहुत ही महत्वपूर्ण होता है खासकर ईश्वरीय शक्ति को समझने वाले साधकों के लिए यह और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। नौ ग्रह को अपने अधीन करने वाली मां कालरात्रि के स्वरूप सिर्फ दुष्टों के लिए ही भयानक दिखती है परन्तु यह भक्तों को दिखने वाली मां सौंदर्य का केंद्र है। जिसे एक साधारण नही देख सकता। इनको समझने के लिए वास्तव में निष्ठा से साधनाओं के द्वारा दिव्य दृष्टि प्राप्त कर ही देखा जा सकता है यह सत्य है। माता काल रात्रि को वैसे निष्ठा से कुछ भी भोग लगा सकते है परन्तु इनको प्रिय भोग लोंग और काली मिर्च अति उत्तम माना गया है। मां लोभ, मोह, क्रोध का वली लेती है। प्रत्येक राशि के जातक को 108 बार नवार्ण मंत्र के साथ लौंग अर्पण करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि यह न्याय की देवी भी है। यह अपने भक्तों का कष्ट तनिक भी नही देख सकती इस भगवती की कृपा अपने भक्तों पर जल्दी कलयुग में भी जल्दी दिखती है। निष्ठा से मां कालरात्रि को मानने वाले भक्तों को अधिक से अधिक नौ दिन से ही अनुभव होने लगता है। इनकी साधना घर एवं मंदिरों में भी किया जा सकता है। किसी भी आमावश रात में या नवरात्र में इनकी साधना करनी चाहिए।
आज शनिवार है शनिवार काली जी का दिन होता है यह संयोग ही कहेंगे की शनिवार को काल रात्रि की पूजा जो काफी महत्व पूर्ण। यह भी ध्यान देने योग्य बात है कि नवरात्र में शिव का पूजा करना भी नही भूलना चाहिए। 

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