राजेश कुमार वर्मा
दरभंगा/मधुबनी, बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज़ कार्यालय ) । यदि हथेलियों में अगर शनि का पर्वत बिगड़ा हुआ हो तो उस जातक का अधिकतर स्वस्थ खराब रहता है व विशेष रूप से वह जातक पित-वात रोग का रोगी होता है। शनि पर्वत मध्यमा अंगुली के नीचे होता है। शनि का पर्वत उठवदार व शुभ हो तो उस जातक का जीवन सुखी होता है। शनि का पर्वत अत्यधिक उन्नत हो तो उस जातक पर शनि का प्रभाव अधिक होता है, अतः वह चिंतायुक्त व दुखी रहता है तथा अविश्वासी होता है। जिस जातक के शनि पर्वत पर त्रिकोण का चिन्ह हो, वह जातक यौगिक क्रियाओं और गुप्त विद्याओं को जानने वाला होता है, इसमें किसी भी प्रकार का संदेह नहीं। शनि पर्वत पर वृत या विंदू के चिन्ह दुख एवं दरिद्रता के चिन्ह माना गया है। शनि पर्वत प्रधान व्यक्ति एकांत प्रिय होने के कारण भिर से बचना चाहते है। शनि क्षेत्र प्रधान जातक प्रायः इंजीनियर, जादूगर, साहित्यकार, व वैज्ञानिक हो सकते है। नृत्य, गान, संगीत इत्यादि में इनकी रुचि नही देखी गई है। ये संदेहशील प्रकृति के जातक होते है। जिस जातक के शनि पर्वत गुरु बृहस्पति की ओर झुका हुआ हो तो श्रेष्ठ होता है। उस जातक में वृहस्पति के गुण का समावेश हो जाता है। उह जातक उन्नतशिल बन जाता है। पंकज झा शास्त्री
दरभंगा/मधुबनी, बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज़ कार्यालय ) । यदि हथेलियों में अगर शनि का पर्वत बिगड़ा हुआ हो तो उस जातक का अधिकतर स्वस्थ खराब रहता है व विशेष रूप से वह जातक पित-वात रोग का रोगी होता है। शनि पर्वत मध्यमा अंगुली के नीचे होता है। शनि का पर्वत उठवदार व शुभ हो तो उस जातक का जीवन सुखी होता है। शनि का पर्वत अत्यधिक उन्नत हो तो उस जातक पर शनि का प्रभाव अधिक होता है, अतः वह चिंतायुक्त व दुखी रहता है तथा अविश्वासी होता है। जिस जातक के शनि पर्वत पर त्रिकोण का चिन्ह हो, वह जातक यौगिक क्रियाओं और गुप्त विद्याओं को जानने वाला होता है, इसमें किसी भी प्रकार का संदेह नहीं। शनि पर्वत पर वृत या विंदू के चिन्ह दुख एवं दरिद्रता के चिन्ह माना गया है। शनि पर्वत प्रधान व्यक्ति एकांत प्रिय होने के कारण भिर से बचना चाहते है। शनि क्षेत्र प्रधान जातक प्रायः इंजीनियर, जादूगर, साहित्यकार, व वैज्ञानिक हो सकते है। नृत्य, गान, संगीत इत्यादि में इनकी रुचि नही देखी गई है। ये संदेहशील प्रकृति के जातक होते है। जिस जातक के शनि पर्वत गुरु बृहस्पति की ओर झुका हुआ हो तो श्रेष्ठ होता है। उस जातक में वृहस्पति के गुण का समावेश हो जाता है। उह जातक उन्नतशिल बन जाता है। पंकज झा शास्त्री