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दीपावली और काली पूजा आज देवी देवता का वास स्वक्षता में ही होता हैं: पंकज झा शास्त्री



राजेश कुमार वर्मा

दरभंगा/मधुबनी, बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज कार्यालय ) । कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष अमावस्या को दीपावली मनाया जाता जो लक्ष्मी पूजा के नाम से भी जाना जाता है इसी रात्रि कई जगह काली पूजा भी मनाते है। दीपावली भारत के सभी क्षेत्रों में मनाया जाता है साथ ही विदेशी में भी कुछ जगह यह पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाते है। दीपावली पर्व को लेकर कुछ दिन पहले से ही लोग अपने घर आंगन को साफ सफाई करने लगते है। साफ सफाई करने का तात्पर्य यह है कि लक्ष्मी का वास या अन्य देवी देवता का वास स्वक्षता में ही है। इस दिन श्री गणेश करते हुए लक्ष्मी, सरस्वती, काली जी, यम, कुबेर की पूजा बहुत महत्व पूर्ण है। इस दिन की प्रधान देवी मां लक्ष्मी होती है। दीपावली अंधेरों से उजाला की ओर अग्रसर होने का प्रतीक है। पौराणिक कथा के अनुसार इस दिन भगवती लक्ष्मी सीता स्वरूप और भगवान विष्णु श्री राम स्वरुप स कुशल अयोध्या लौटे, इनके आने के खुशी में आयोधया वासी ने इनके स्वागत में पूरे अयोध्या नगरी को दीपों से सजाया जिस कारण अंधकार छट कर उजालों में परिवर्तन हो गया। तब से दीपावाली अबतक लोग मनाते आ रहे है। इस रात्रि काली पूजा का तात्पर्य यह है कि कहा जाता है भारतीय काल गणना के अनुसार 14 मनुओं का समय बीतने और प्रलय होने के पश्चात पुनः निर्माण और नई सृष्टि का आरंभ दीपावली के दिन ही हुई। नवारंभ के कारण कार्तिक आमावस्या को कालरात्रि भी कहा जाने लगा। इस दिन सूर्य अपनी सातवीं यानी तुला राशि में प्रवेश करता है और उत्तरार्ध का आरंभ होता है, इसलिए कार्तिक मास की पहली आमावस्या ही नई शुरुआत और नवनिर्माण का समय होता है। जो विद्यार्णव तंत्र में कालरात्रि को शक्ति रात्रि की संज्ञा दी गई है। कालरात्रि को शत्रु विनाशक माना गया है साथ ही शुभ तत्व का प्रतीक, सुख -समृद्धि प्रदान करने वाला माना गया है। इस दिन निश्चित रूप से श्री गणेश करते हुए भगवती लक्ष्मी, भगवती काली एवं अन्य देवी देवता की पूजा सभी को करनी चाहिए साथ ही आरती में शंख जरूर बजाना चाहिए इससे दलिद्र्ता का नाश होता है और अन्य शारीरिक मानसिक कष्ट भी दूर होता है। पूजा के बाद प्रसाद का वितरण जरूर करनी चाहिए।
लक्ष्मी पूजन शुभ मुहूर्त- 27 अक्टूबर 2019 रविवार,
संध्या 07:15 से 08:36 तक।
प्रदोष काल संध्या 06:04 से 08:36 तक।
वृषभ काल संध्या 07:15 से 09:15 तक।
चौघडिया मुहूर्त दोपहर 01:48 से 03:13 तक।
काली पूजन शुभ मुहूर्त निशित काल रात्रि 11:39 से 12:30 तक।
आमावस्या तिथी आरंभ 27 अक्टूबर को ,दिन के12:02 के बाद, आमावस्या तिथी समाप्त 28 अक्टूबर को , दिन के 09:54 तक।
नोट- अपने अपने क्षेत्रीय पंचांग अनुसार समय मुहूर्त में कुछ अंतर हो सकता है।
पंकज झा शास्त्री

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