अभिनव चौधरी
समस्तीपुर, बिहार (मिथिला हिन्दी न्यूज़ कार्यालय ) । नियोजित शिक्षकों व पुस्तकालयाध्यक्षों के लिए अध्ययन अवकाश की समय सीमा की बाध्यता समाप्त करने के साथ-साथ सवैतनिक करने की मांग बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ ने किया।महासचिव -सह- पूर्व सांसद शत्रुध्न प्रसाद सिंह ने शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव को इस संबंध में पत्र लिखा है। इस बाबत बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के युवा नेता सिद्धार्थ शंकर ने महासचिव के हवाले से बताया कि राज्य के माध्यमिक व उच्च माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षक व पुस्तकालयध्यक्ष नियोजन नियमावली 2006 के तहत तीन वर्ष के लिए अध्ययन अवकाश का लाभ शिक्षक प्राप्त कर रहे थे। जब नियोजन नियमावली में वर्ष 2012 में संशोधन कर अवैतनिक अध्ययन अवकाश का उपबंध किया गया था, तब उसमें सेवा अवधि की कोई समय सीमा की बाध्यता नहीं थी। मगर शिक्षा विभाग के नये आदेश के तहत अब अध्ययन अवकाश का उपभोग नियोजन की तिथि से सात वर्षों की सेवा अवधि पूर्ण होने के उपरांत ही कर सकेंगे। उन्होंने शिक्षा विभाग के उपसचिव के आदेश संख्या 1901 दिनांक 4.10.2019 के कंडिका (2) में कही गई उस बात का खंडन किया है जिसमें कहा गया है कि विभागीय पत्रांक 1413 दिनांक 12.11.2014 के द्वारा ही अध्ययन अवकाश का उपभोग के लिए समय सीमा निर्धारित कर दी गई थी तथा इस पत्र की प्रतिलिपि संघ को उपलब्ध कराई गई थी। इस तरह का कोई भी पत्र संघ को आजतक प्राप्त नहीं हुआ है। जबकि उपसचिव स्वयं इस आदेश पत्र में स्पष्ट किया है कि उक्त पत्र राज्य के किसी भी नियोजन इकाई व जिला शिक्षा पदाधिकारी को प्रेषित नहीं किया जा सका था तो मात्र बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ को ही इसकी प्रति कैसे और क्यूं उपलब्ध कराई जा सकती है। उन्होंने कहा कि विभाग के उपसचिव का यह कृत राज्य के नियोजित शिक्षकों को गुमराह करने वाला तथा संघ को कटघरे में खड़ा करने की साजिश है। श्री शंकर ने बताया कि महासचिव श्री सिंह ने शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव को पत्र लिख कर मांग किया है कि विभाग को उदारतापूर्ण विचार करते हुए सरकारी कर्मचारियों के लिए लागू सेवा संहिता के उपबंधों की भांति राज्य के माध्यमिक व उच्च माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत नियोजित शिक्षकों व पुस्तकालयध्यक्षों को अध्ययन अवकाश को सवैतनिक किया जाय, जिसमें कर्मियों को अध्ययन अवकाश के दौरान उनके औसत वेतन का आधा भुगतान किया जाता है और पूर्ववत नियोजन के बाद उच्चतर योग्यता वृद्धि के लिए अवधि की पाबंदी संबंधी निदेश को शिथिल की जाय। जिससे इसका लाभ न सिर्फ शिक्षकों को हो बल्कि राज्य के गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के विकास के साथ-साथ बच्चों को बेहतर शिक्षा मिल सके।
राजेश कुमार वर्मा के द्वारा पब्लिस
समस्तीपुर, बिहार (मिथिला हिन्दी न्यूज़ कार्यालय ) । नियोजित शिक्षकों व पुस्तकालयाध्यक्षों के लिए अध्ययन अवकाश की समय सीमा की बाध्यता समाप्त करने के साथ-साथ सवैतनिक करने की मांग बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ ने किया।महासचिव -सह- पूर्व सांसद शत्रुध्न प्रसाद सिंह ने शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव को इस संबंध में पत्र लिखा है। इस बाबत बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के युवा नेता सिद्धार्थ शंकर ने महासचिव के हवाले से बताया कि राज्य के माध्यमिक व उच्च माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षक व पुस्तकालयध्यक्ष नियोजन नियमावली 2006 के तहत तीन वर्ष के लिए अध्ययन अवकाश का लाभ शिक्षक प्राप्त कर रहे थे। जब नियोजन नियमावली में वर्ष 2012 में संशोधन कर अवैतनिक अध्ययन अवकाश का उपबंध किया गया था, तब उसमें सेवा अवधि की कोई समय सीमा की बाध्यता नहीं थी। मगर शिक्षा विभाग के नये आदेश के तहत अब अध्ययन अवकाश का उपभोग नियोजन की तिथि से सात वर्षों की सेवा अवधि पूर्ण होने के उपरांत ही कर सकेंगे। उन्होंने शिक्षा विभाग के उपसचिव के आदेश संख्या 1901 दिनांक 4.10.2019 के कंडिका (2) में कही गई उस बात का खंडन किया है जिसमें कहा गया है कि विभागीय पत्रांक 1413 दिनांक 12.11.2014 के द्वारा ही अध्ययन अवकाश का उपभोग के लिए समय सीमा निर्धारित कर दी गई थी तथा इस पत्र की प्रतिलिपि संघ को उपलब्ध कराई गई थी। इस तरह का कोई भी पत्र संघ को आजतक प्राप्त नहीं हुआ है। जबकि उपसचिव स्वयं इस आदेश पत्र में स्पष्ट किया है कि उक्त पत्र राज्य के किसी भी नियोजन इकाई व जिला शिक्षा पदाधिकारी को प्रेषित नहीं किया जा सका था तो मात्र बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ को ही इसकी प्रति कैसे और क्यूं उपलब्ध कराई जा सकती है। उन्होंने कहा कि विभाग के उपसचिव का यह कृत राज्य के नियोजित शिक्षकों को गुमराह करने वाला तथा संघ को कटघरे में खड़ा करने की साजिश है। श्री शंकर ने बताया कि महासचिव श्री सिंह ने शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव को पत्र लिख कर मांग किया है कि विभाग को उदारतापूर्ण विचार करते हुए सरकारी कर्मचारियों के लिए लागू सेवा संहिता के उपबंधों की भांति राज्य के माध्यमिक व उच्च माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत नियोजित शिक्षकों व पुस्तकालयध्यक्षों को अध्ययन अवकाश को सवैतनिक किया जाय, जिसमें कर्मियों को अध्ययन अवकाश के दौरान उनके औसत वेतन का आधा भुगतान किया जाता है और पूर्ववत नियोजन के बाद उच्चतर योग्यता वृद्धि के लिए अवधि की पाबंदी संबंधी निदेश को शिथिल की जाय। जिससे इसका लाभ न सिर्फ शिक्षकों को हो बल्कि राज्य के गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के विकास के साथ-साथ बच्चों को बेहतर शिक्षा मिल सके।
राजेश कुमार वर्मा के द्वारा पब्लिस