अपराध के खबरें

मिथिलाचंल में हुक्का लोली खेले बिना अधूरी है दिवाली

रोहित कुमार सोनू

देशभर में प्रकाश पर्व दीपावली धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। विकसित समाज में मानव ने अपने जीवन स्तर को बढ़ाने में कई बेहतर चीजों को अपनाया। मिथिला में दीपावली का त्योहार प्राचीन काल से ही पारंपरिक तरीके से मनाया जाता आ रहा है। कहा जाता है कि 14 वर्ष वनवास के बाद भगवान श्रीराम के अयोध्या लौटने की खुशी में दिवाली मनाई जाती है। घर की साफ-सफाई और प्रकाश इसी उपलक्ष्य में की जाती है। इसी परम्परा को अक्षुण्ण रखते हुए मिथिला में भी दीपोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है।दीपावली से एक दिन पहले घर के फटे-पुराने कपड़ों का गोला बनाकर रात भर केरोसिन में डुबाकर रखा जाता है। रात को बच्चे-युवा उसे लंबे तार में बांधकर और आग लगाकर गोल-गोल घुमाते हैं, इसका आनंद ही कुछ और होता है। इसे हुक्का-लोली कहा जाता है। पटाखा की जगह मिथिलांचल के गांवों में पहले यही होता था। अब भी गांव में यह परंपरा जीवित है।

إرسال تعليق

0 تعليقات
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

live