राजेश कुमार वर्मा
सबलपुर/सोनपुर, बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज ) । सबलपुर सोनपुर का एक ऐसा गाँव रहा है। जहाँ अनेकता में एकता की मिसाल आज भी कायम है। बिहार का एक ऐसा ग्राम जो राजनीतिक विरासतों को अपने सीने से पैदा करता आ रहा है। इस गाँव का अतित बहुत सारे ऐतिहासिक घटनाओं का गवाह हैं ।यह साक्षी हैं आदिकाल में हुए अध्यात्मिक आगाजों का ।देश-विदेश से आये लोग आज से हजारों साल पहले यहाँ मेडिटेशन करने आया करते थे। आज भी इसकी कोख सोनपुर में विश्वप्रसिद्ध सोनपुर मेला लग रहा ।इस जगह की खूबसूरती इसकी प्राकृतिक छटा ही है। ये गाँव तीनों तरफ पानी से घिरा है। यूं कह लिजिए यह गंगा और गंडक के संगम का प्रतिक भी है। गंडक की औषधीय लहर और गंगा की निर्मलता इसे और भी ज्यादा खूबसूरत बना देता है। पर्यावरण और यहाँ की समाजिक बनावट तो पूरे सूबे में एक मिसाल है।
हरे-भरे और वान्जियक संपदा से लदे भरे यहाँ की जलवायु इक सूकून देती है।
आजादी के सिपाहियों के लिए ये जगह बिहार की सबसे सुरक्षित जगह हुआ करती थी। राजनैतिक रूप से ये लोगों को लुभाता रहा है।
लालू प्रसाद की राजनैतिक विरासत यही से शुरू होती है। पहली बार वो यही से विधायक चुने गये। मंत्री , केन्द्रीय मंत्री रहे और वर्तमान सांसद राजीव प्रताप रूढी भी यहाँ से सांसद हैं।
बिहार के मुख्यमंत्री को परिवारिक तौर पर ये जगह पसंद है। वर्तमान डीजीपी,बिहार इस जगह अध्यात्मिक लाभ हेतु आते रहे हैं। रंग-बिरंगी संस्कृतियों से लबरेज सबलपुर का चारों पंचायत आज कटाव से गंगा में विलीन हो रहा ।
लगभग पचास हजार की आबादी वाला यह गाँव आत्मनिर्भरता में भी बिहार का प्रतिनिधित्व करता है।
यहाँ की उपजाऊ भूमि में इतनी ताकत हैं की वह अपना और अपने प्रदेश का पेट पाल सकती है। शायद ही यहाँ कोई बेरोजगार होगा।दूध,फल,सब्जी, अनाज, खनिज , व्यवसाय यहाँ के लोगों का स्वरोजगार का माध्यम है। अब वो जमीन कटाव के भेंट चढ रहा।संतुष्ट सादा जीवन यहाँ के लोगों का व्यक्तित्व भी है।
विस्थापन के डर ने इनके हौसले पस्त करने शुरू कर दिये हैं।दीघा और सोनपुर में बने सेतु ने गंगा की राह को अब मोङ दिया हैं अब इसकी तेज धार ने सबलपुर को उजाङना शुरू कर दिया है। तरक्की की जद में यहाँ की जनता पीस रही।
सवाल उठने शुरू हो गये हैं की इतनी बङी आबादी अब कहां शरण लेगी।कौन उनके बच्चों को सुनहला भविष्य देगा।क्या हुक्मरानों की जिम्मेवारी तय नही होगी।
इस जिले के जिलाधिकारी महोदय और अनुमंडल पदाधिकारी सोनपुर से यहाँ की जनता मदद की उम्मीद कर सकती है। अगर हां तो कब? प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक डॉ॰ मनोज कुमार द्वारा सम्प्रेषित ।
सबलपुर/सोनपुर, बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज ) । सबलपुर सोनपुर का एक ऐसा गाँव रहा है। जहाँ अनेकता में एकता की मिसाल आज भी कायम है। बिहार का एक ऐसा ग्राम जो राजनीतिक विरासतों को अपने सीने से पैदा करता आ रहा है। इस गाँव का अतित बहुत सारे ऐतिहासिक घटनाओं का गवाह हैं ।यह साक्षी हैं आदिकाल में हुए अध्यात्मिक आगाजों का ।देश-विदेश से आये लोग आज से हजारों साल पहले यहाँ मेडिटेशन करने आया करते थे। आज भी इसकी कोख सोनपुर में विश्वप्रसिद्ध सोनपुर मेला लग रहा ।इस जगह की खूबसूरती इसकी प्राकृतिक छटा ही है। ये गाँव तीनों तरफ पानी से घिरा है। यूं कह लिजिए यह गंगा और गंडक के संगम का प्रतिक भी है। गंडक की औषधीय लहर और गंगा की निर्मलता इसे और भी ज्यादा खूबसूरत बना देता है। पर्यावरण और यहाँ की समाजिक बनावट तो पूरे सूबे में एक मिसाल है।
हरे-भरे और वान्जियक संपदा से लदे भरे यहाँ की जलवायु इक सूकून देती है।
आजादी के सिपाहियों के लिए ये जगह बिहार की सबसे सुरक्षित जगह हुआ करती थी। राजनैतिक रूप से ये लोगों को लुभाता रहा है।
लालू प्रसाद की राजनैतिक विरासत यही से शुरू होती है। पहली बार वो यही से विधायक चुने गये। मंत्री , केन्द्रीय मंत्री रहे और वर्तमान सांसद राजीव प्रताप रूढी भी यहाँ से सांसद हैं।
बिहार के मुख्यमंत्री को परिवारिक तौर पर ये जगह पसंद है। वर्तमान डीजीपी,बिहार इस जगह अध्यात्मिक लाभ हेतु आते रहे हैं। रंग-बिरंगी संस्कृतियों से लबरेज सबलपुर का चारों पंचायत आज कटाव से गंगा में विलीन हो रहा ।
लगभग पचास हजार की आबादी वाला यह गाँव आत्मनिर्भरता में भी बिहार का प्रतिनिधित्व करता है।
यहाँ की उपजाऊ भूमि में इतनी ताकत हैं की वह अपना और अपने प्रदेश का पेट पाल सकती है। शायद ही यहाँ कोई बेरोजगार होगा।दूध,फल,सब्जी, अनाज, खनिज , व्यवसाय यहाँ के लोगों का स्वरोजगार का माध्यम है। अब वो जमीन कटाव के भेंट चढ रहा।संतुष्ट सादा जीवन यहाँ के लोगों का व्यक्तित्व भी है।
विस्थापन के डर ने इनके हौसले पस्त करने शुरू कर दिये हैं।दीघा और सोनपुर में बने सेतु ने गंगा की राह को अब मोङ दिया हैं अब इसकी तेज धार ने सबलपुर को उजाङना शुरू कर दिया है। तरक्की की जद में यहाँ की जनता पीस रही।
सवाल उठने शुरू हो गये हैं की इतनी बङी आबादी अब कहां शरण लेगी।कौन उनके बच्चों को सुनहला भविष्य देगा।क्या हुक्मरानों की जिम्मेवारी तय नही होगी।
इस जिले के जिलाधिकारी महोदय और अनुमंडल पदाधिकारी सोनपुर से यहाँ की जनता मदद की उम्मीद कर सकती है। अगर हां तो कब? प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक डॉ॰ मनोज कुमार द्वारा सम्प्रेषित ।