राजेश कुमार वर्मा
दरभंगा/मधुबनी, बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज कार्यालय ) । अंधकार को मिटाकर उजाले की ओर ले जाने बाला महापर्व दीपावली मनाने की तैयारी जोरों पर है। लोग अपने घर आंगन को साफ सफाई करने में जुटे हुए है। बाजार भी रंग बिरंग दिया को लेकर एवं अन्य सामानों के साथ सजा हुआ है। परन्तु यह भी कहना उचित होगा कि अब अधिकतर मिट्टी के दिया क की जगह लोग चाईनीज लाइट को बढ़ावा दे रहे है जिसे हमारे अनुसार उचित नही है। साथ ही लोग इस दिन अधिक से अधिक बारूद भरी पटाके को खरीद कर फोड़ना पसंद कर रहे है। इतना ही नही कई लोग इस दिन जुआ खेलना भी पसंद करते है जो पर्यावरण के साथ स्वयं के शारीरिक आर्थिक नुकसान करने में मदद करता है। सोच विचार के साथ देखा जाय तो लगता है कि पर्व के भौतिक स्वरूप का काफी बदलाव हुआ है। इस बदलाव के कारण अधिकतर नुकसान उठाना पड़ता है। मै समझता हूं अपने सबसे पहले अपने अंदर बना अंधकार में प्रेम के दपक को जलाए तो सदैव प्रकाशमय रहे। मन के अंदर प्रेम का दीपक जलाने से इस दीपक को दुनियां की कोई भी नाकारात्मक शक्ति या आंधी तूफ़ान भी नही बुझा सकता। यह पर्व भगवती लक्ष्मी को लाने का समय एवं उनके पूजा आराधना का समय होता है। भगवती लक्ष्मी का वास स्वक्षता के साथ शांति में होता है परन्तु देखा जाय तो लोग तेज आवाज के पटाखे फोड़ कर अशांति के साथ पर्यावरण को भी दूसित कर देते है साथ ही माया रूपी चलयमान लक्ष्मी को बारूद स्वरूप बदलकर अग्नि के हवाले करके खुशी मनाते है जिसे उचित नही कहा जा सकता। दीपावली शांति पूर्वक अपने घर आंगन में दीप जलाकर उजाला करे श्री लक्ष्मी गणेश आदि देवी देवता की पूजन करके इनको मिष्ठान या अन्य सामर्थ और श्रद्धा अनुसार भोग लगा कर प्रसाद वितरण करे साथ ही प्रसाद को स परिवार ग्रहण करें। किसी भी प्रकार के केमिकल युक्त पटाकों से दूर रहे और बच्चो को भी इससे दूर रखे। चाईनीज बल्व को भी अपने घरों से दूर रखे। मिट्टी से बने दीपक को बढ़ावा दे। आप सभी स परिवार खुश रहे , मां लक्ष्मी आप सभी पर अपनी कृपा बनाए रखे। जय माता दी।