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विजयादशमी के दिन नीलकंठ के दर्शन की परंपरा है

राजेश कुमार वर्मा समस्तीपुर, बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज ) ।

असत्य, अंधकार और मृत्यु पर विजय प्राप्त कर सत्य, प्रकाश और अमरता मे प्रतिष्ठित होने के पर्व विजयादशमी की मिथिला हिन्दी न्यूज  परिवार की ओर से तमाम देशवासियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं। पौराणिक कथा के अनुसार
 यह पर्व रावण वध एवं राम की बुराई पर अच्छाई की जीत की विजय के रूप में मनाया जाता है और इसी कारण आज रावण दहन किया जाता है। परन्तु राम ने रावण पर विजय का जो उपाय बताया है उसे हम भूल जाते हैं। फलस्वरूप रावण का पुतला दहन तो कर लेते हैं लेकिन वास्तव में रावण मरता नहीं है।
इस बात को तुलसीदास जी ने रामचरितमानस में लंका काण्ड में राम विभीषण संवाद के रूप में लिखा है कि "कवच अभेद्य बिप्र गुरु पूजा, एहि सम विजय उपाय न दूजा।"
गांव में इस बात को ध्यान दिलाने के लिए ही आज के दिन नीलकंठ के दर्शन की परंपरा है। नीलकंठ यानि शंकर रुप सद्गुरु के दर्शन एवं संगत से ज्ञान प्राप्त कर रावण यानि अहंकार पर विजय प्राप्त किया जा सकता है।

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