रोहित कुमार सोनू
नहाय खाय के साथ आस्था और विश्वास का महापर्व छठ पूजा शुरू हो चुकी है जोकि चार दिनों तक चलेगा है। आज इसका दूसरा दिन है इस दिन खरना व्रत की परंपरा निभाई जाती है। इस मौके पर महिलाएं दिन भर उपवास करती हैं और शाम में भगवान सूर्य को खीर-पूड़ी, पान-सुपारी और केले का भोग लगाने के बाद प्रसाद को बांटा जाता है। नहाय खाय के बाद दूसरे दिन शाम में खरना का आयोजन किया जाता है। खरना का मतलब होता है पूरे दिन का उपवास। व्रत रखने वाला व्यक्ति इस दिन जल की एक बूंद तक ग्रहण नहीं करता। शाम होने पर गन्ने का जूस या गुड़ के चावल या गुड़ की खीर का प्रसाद बना कर बांटा जाता है।मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ी जलाकर खीर तैयार की जाती है। इसमें आम की लकड़ी का प्रयोग जरूरी होता है। मिट्टी के नये चूल्हे पर दूध, गुड़ व आरव के चावल से खीर और गेहूं के आटे की रोटी का प्रसाद बनाया जाएगा।प्रसाद बन जाने के बाद शाम को सूर्य की आराधना कर उन्हें भोग लगाया जाता है और फिर व्रतधारी प्रसाद ग्रहण करती है। प्रसाद ग्रहण करने के बाद व्रती सुबह के अर्घ्य तक उपवास करते हैं।
नहाय खाय के साथ आस्था और विश्वास का महापर्व छठ पूजा शुरू हो चुकी है जोकि चार दिनों तक चलेगा है। आज इसका दूसरा दिन है इस दिन खरना व्रत की परंपरा निभाई जाती है। इस मौके पर महिलाएं दिन भर उपवास करती हैं और शाम में भगवान सूर्य को खीर-पूड़ी, पान-सुपारी और केले का भोग लगाने के बाद प्रसाद को बांटा जाता है। नहाय खाय के बाद दूसरे दिन शाम में खरना का आयोजन किया जाता है। खरना का मतलब होता है पूरे दिन का उपवास। व्रत रखने वाला व्यक्ति इस दिन जल की एक बूंद तक ग्रहण नहीं करता। शाम होने पर गन्ने का जूस या गुड़ के चावल या गुड़ की खीर का प्रसाद बना कर बांटा जाता है।मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ी जलाकर खीर तैयार की जाती है। इसमें आम की लकड़ी का प्रयोग जरूरी होता है। मिट्टी के नये चूल्हे पर दूध, गुड़ व आरव के चावल से खीर और गेहूं के आटे की रोटी का प्रसाद बनाया जाएगा।प्रसाद बन जाने के बाद शाम को सूर्य की आराधना कर उन्हें भोग लगाया जाता है और फिर व्रतधारी प्रसाद ग्रहण करती है। प्रसाद ग्रहण करने के बाद व्रती सुबह के अर्घ्य तक उपवास करते हैं।