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जन्म कुंडली में यदि चंद्र किसी शुभ भाव का स्वामी होकर बलवान हो, तो उस भाव को अपने गुणों मे खूब प्रफुल्लित तथा परिवर्धित करता है : ज्योतिष पंकज झा शास्त्री



राजेश कुमार वर्मा

दरभंगा/मधुबनी, बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज कार्यालय ) । जन्म कुंडली मे यदि चंद्र किसी शुभ भाव का स्वामी होकर बलवान हो, तो उस भाव को अपने गुणों मे खूब प्रफुल्लित तथा परिवर्धित करता है! इस तरह के कुंडली वाला व्यक्ति आवश्य ही धनवान माना जाता है! बलवान चंद्र सदैव शुभ फल तथा निर्बल चंद्र दुःख और दरिद्रता देता है! पृथ्वी के अधिक समीप होने के कारण मनुष्य पर इसका प्रभाव जल्दी परता है! शुभ चंद्र की दशा में व्यक्ती का मन सदैव प्रसन्न रहता है!
माता का सुख, सुंदरता, यश प्राप्ति, सुख, दूर का प्रवास, जल यात्रा, मन, बुद्धि, स्वास्थ्य, एश्वर्य, संपति, सोंदर्य प्रसाधन, बाहन, धन संचय, धंधे मे उन्नती, प्रजा पक्ष, जनता, स्त्री, चांदी, दूध, गाय, लज्जा, वस्त्र,, दया, हृदय, चेतना शक्ति, ब्राम्हण, स्वेत वस्त्र,, चंदन, श्वेत पुष्प, दही, कपूर, तेल वंश पात्र आदि वर्ण माला का स्वर - य, र, ल, व, श, ष, स, ह, मध्यम आकार, भोजन, राज्य, कुंआ, तालाब, नदी, समुद्र, दया, शीघ्रतम गति भावनाएँ, रक्त, जन्म कालीन अवस्था, लग्न, रूप, शिशु अवस्था, फेफड़े, छाती, माता, रानी,, उत्तर पश्चिम दिशा आदि का कारक ग्रह है! यह कर्क राशि के स्वामी ग्रह है! यदि चंद्र बलवान न हुआ तो व्यक्ति का स्वभाव बुरा होता है, वो अति भोगी, स्त्रियों के पीछे दौड़ने वाला, अविश्वासी, धन का गोलमाल करने वाला व अस्थिर चित वाला होता है! प्रतिशोध की भावना सदा उसके मन मे रह सकती है, साथ ही वो दम्भी, पाखंडी, दूसरों की बुराई करने वाला और चुगली करने वाला अधिक हो सकता है । पंकज झा शास्त्री

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