रोहित कुमार सोनू
देशभर में आस्था का महापर्व छठ आज उदयमान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद सम्पन्न हो गया है। चार दिनों तक चलने वाले इस व्रत में व्रती 36 घंटे का कठिन व्रत करते हैं। इस साल 31 अक्टूबर को नहाय-खाय से शुरू हुआ ये पर्व आज सुबह (3 नवंबर) को भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के बाद समाप्त हो गया है।
वैसे तो छठ पर्व पूरे देश में देखने को मिलती है लेकिन मिथलाचंल में इसका एक अलग ही रंग दिखता है। इस बार युवा सेल्फी लेने में व्यस्त दिखे। वे किसी भी यादगार लम्हे काे तस्वीरों में कैद करने से चूक नहीं रहे थे। यही वजह है कि लोग इस खास लम्हे को सहेजकर रखने के लिए में छठ पूजा की घाटों के साथ सेल्फी ले रहे हैं.आज के युग में लोग हर लम्हे को कैद करना चाहते हैं. ऐसे में मिथिलांचल के कई शहर में छठ घाटों में सेल्फी प्वाइंट बने थे . लोग इन लम्हों को अपने कैमरे में कैद करना चाहते हैं. श्रद्धालु ने बताया कि हम लोग छठ पूजा का मेला और घाटों पर घूमने आते हैं. हम घाटों में सेल्फी ले रहे हैं, ताकि इस लम्हे को अपनी यादों में संजोकर अपने आने वाले बच्चों को दिखा सके. इससे हम बता सकेंगे कि ऐसी घाटों और ऐसा पंडाल पिछली बार बना था. वहीं जो लोग किसी कारण से घर पर नहीं आ पाए हैं, उनको भी हम दिखाएंगे और सोशल मीडिया पर भी पोस्ट करेंगे.
देशभर में आस्था का महापर्व छठ आज उदयमान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद सम्पन्न हो गया है। चार दिनों तक चलने वाले इस व्रत में व्रती 36 घंटे का कठिन व्रत करते हैं। इस साल 31 अक्टूबर को नहाय-खाय से शुरू हुआ ये पर्व आज सुबह (3 नवंबर) को भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के बाद समाप्त हो गया है।
वैसे तो छठ पर्व पूरे देश में देखने को मिलती है लेकिन मिथलाचंल में इसका एक अलग ही रंग दिखता है। इस बार युवा सेल्फी लेने में व्यस्त दिखे। वे किसी भी यादगार लम्हे काे तस्वीरों में कैद करने से चूक नहीं रहे थे। यही वजह है कि लोग इस खास लम्हे को सहेजकर रखने के लिए में छठ पूजा की घाटों के साथ सेल्फी ले रहे हैं.आज के युग में लोग हर लम्हे को कैद करना चाहते हैं. ऐसे में मिथिलांचल के कई शहर में छठ घाटों में सेल्फी प्वाइंट बने थे . लोग इन लम्हों को अपने कैमरे में कैद करना चाहते हैं. श्रद्धालु ने बताया कि हम लोग छठ पूजा का मेला और घाटों पर घूमने आते हैं. हम घाटों में सेल्फी ले रहे हैं, ताकि इस लम्हे को अपनी यादों में संजोकर अपने आने वाले बच्चों को दिखा सके. इससे हम बता सकेंगे कि ऐसी घाटों और ऐसा पंडाल पिछली बार बना था. वहीं जो लोग किसी कारण से घर पर नहीं आ पाए हैं, उनको भी हम दिखाएंगे और सोशल मीडिया पर भी पोस्ट करेंगे.