रोहित कुमार सोनू
आइंस्टीन के सापेक्ष सिद्धांत को चुनौती देनेवाले सिजोफ्रेनिया से पीड़ित देश के महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह का सूरज गुरुवार की सुबह अस्त हो गया है. पटना के कुल्हड़िया कांपलेक्स में वह रहते थे. बताया जा रहा है कि आज अहले सुबह उनके मुंह से खून निकलने लगा. इसके बाद परिजन उन्हें लेकर तत्काल पीएमसीएच गये, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. उनके बड़े में एक दिल्चसप बात ये था की जब साइंस कॉलेज में पढ़ते थे, उस दौरान वह बतौर छात्र गलत पढ़ाने पर वह अपने गणित के प्रोफेसर को टोक देते थे. इसके बारे में जब कॉलेज के प्रिंसिपल को जानकारी मिली तो उन्होंने वशिष्ठ नारायण सिंह की प्रतिभा को देखने के लिए उनकी अलग से परीक्षा ली. जिसके बाद उन्होंने सारे अकादमिक रिकॉर्ड तोड़ दिए थे.बता दें कि 74 वर्षीय महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह ने अपनी जिंदगी के 44 साल मानसिक बीमारी सिजेफ्रेनिया में गुजारा. आज भी कहा जाता है कि इस बीमारी के शुरुआती वर्षों में अगर उनकी सरकारी उपेक्षा नहीं हुई होती तो आज वशिष्ठ नारायण सिंह का नाम दुनिया के महानतम गणितज्ञों में सबसे ऊपर होता. उनके बारे में मशहूर किस्सा है कि अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा में अपोलो की लॉन्चिंग से पहले जब 31 कंप्यूटर कुछ समय के लिए बंद हो गए तो कंप्यूटर ठीक होने पर उनका और कंप्यूटर्स का कैलकुलेशन एक था.
कई संस्थानों में दी थी सेवा वर्ष 1969 में वशिष्ठ नारायण सिंह ने कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी से पीएचडी की और वॉशिंगटन विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर बन गए. नासा में भी उन्होंने काम किया. भारत लौटने के बाद उन्होंने आईआईटी कानपुर, आईआईटी बॉम्बे और आईएसआई कोलकाता में अपनी सेवा दी,