राजेश कुमार वर्मा
समस्तीपुर,बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज कार्यालय ) । राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के द्वारा आहूत जिला कार्यसमिति की बैठक प्रेस वार्ता का आयोजन स्थानीय प्रताप इंटरनेशनल होटल के सभागार में अनंत कुशवाहा की अध्यक्षता में किया गया । प्रेस वार्ता को संवोधित करते हुऐ डा० विनोद यादव पूर्व विधायक ने पत्रकारों को संवोधित करते हुऐ कहा कि राज्य के गरीब एंव साधारण परिवार से आने वाले बच्चों के लिए खोले जाने वाले केन्द्रीय विधालय का बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा किऐ जा रहे विरोध के खिलाफ राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा द्वारा पटना में आमरण अनशन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि रालोसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एंव भारत सरकार के पूर्व शिक्षा राज्य मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने अपने मंत्रित्व काल में बिहार की गुणवत्ता पुर्ण शिक्षा की स्थापना हेतु अनेक प्रयास किऐ थे । उन्होंने मंत्री बनते ही घोषणा की थी कि राज्य सरकार जितनी जगहों पर केन्द्रीय विधालय खोलने का हमें प्रस्ताव देगी, उन सभी जगहों पर विधालय खोल दिऐ जाएंगे । मगर बार बार आग्रह के बावजूद प्रस्ताव नहीं भेजे गए। श्री कुशवाहा बहुत मेहनत कर किसी तरह से दो प्रस्ताव भिजवा पाऐ । एक नवादा जिला में नवादा और दूसरा औरंगाबाद जिला के देवकुंड के लिए प्रस्ताव भेजा ।
श्री यादव ने आगे कहा कि भारत सरकार के मानव संसाधन विकास विभाग द्वारा उक्त दोनों प्रस्ताव के आलोक में पिछले वर्ष अर्थात 2018 के अगस्त महीने में ही नवादा और देवकुंड में विधालय खोलने की स्वीकृति दे दी गई। उस वक्त इन दो विधालयों के साथ देश भर में 11 और विधालयों अर्थात कुल 13 विधालयों की स्वीकृति हुई थी । वहीं बिहार से बाहर के लिए अधिकांश विधालय पिछले साल ही खुल गए और वहां पिछले सत्र में पढ़ाई भी शुरू हो चुकी हैं, परन्तु दुख के साथ यह कहना पड़ता है कि राज्य सरकार ने खुद विधालय खोलने के प्रस्ताव के साथ इनके निर्माण हेतु जमीन देने का लिखित वादा किया था । जबकि अब उक्त जमीन को देने से मना किया जा रहा है । श्री यादव ने पत्रकारों से आगे कहा कि राज्यवासियों को यह जानकर अत्यंत दुख होगा कि देवकुंड (औरंगाबाद ) में प्रस्तावित विधालय के लिए तो वहां के एक सज्जन पुरुष ने अपनी निजी जमीन दान स्वरूप दी है । स्पष्ट है कि इस विधालय की स्थापना में राज्य सरकार को न तो एक इंच अपनी जमीन देनी है और न ही एक नया पैसा अपने कोष से खर्च करना है । जमीन जनता की ,पैसा भारत सरकार का और पढ़ेंगे गरीब घर के बच्चे और विरोध कर रही हैं राज्य की नीतीश सरकार । राज्य सरकार के उक्त रवैया में परिवर्तन के लिए पार्टी की ओर से आंदोलन किऐ गए । राष्ट्रीय अध्यक्ष ने मंत्री रहते हुए मुख्यमंत्री से मिलकर आग्रह किया, शिक्षा मंत्री से मिलकर गुहार लगाई । वहीं दर्जनों बार अधिकारियों से मिलकर भी बात की ।मगर राज्य सरकार के कानों पर जूं नहीं रेंगा । अंत में मजबूर होकर हमारी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री कुशवाहा ने आगामी 26 नवंबर 19 को पटना में आमरण अनशन करने का निर्णय लिया है । उन्होंने आगे कहा कि श्री कुशवाहा ने भारत सरकार में मंत्री रहते हुए बिहार में कैमुर, शेखपुरा, मधुबनी, मधेपुरा, सुपौल, अरवल आदि जिलों जहां एक भी केन्द्रीय विधालय नहीं है, में भी विधालय की स्थापना के प्रस्ताव को मंत्रालय की योजना में शामिल करवाया । भारत सरकार की ओर से उक्त जिलों के लिए प्रदेश की सरकार से प्रस्ताव की मांग की गई । मगर तीन वर्षों में भी बिहार सरकार प्रस्ताव भेजने में असफल है । श्री कुशवाहा की घोषणा और मंत्रालय के निर्णय के अनुसार यदि प्रस्ताव भेज दिया गया होता तो आज वहां भी स्कूल खुल गया होता । उन्होंने आगे कहा कि अपने राज्य में पूर्व से संचालित लगभग डेढ़ दर्जन केन्द्रीय विधालय जमीन के अभाव में तीस-तीस वर्षों से अस्थाई भवन में चलाऐ जा रहे है । नतीजा यह है कि जगह के अभाव में कई विधालय बन्द होने के कगार पर है । हमारे नेता ने मंत्री रहते राज्य सरकार से जमीन देने के लिए एड़ी चोटी एक कर दिया, परन्तु राज्य सरकार इस मामले में सोई रही । सरकारी आंकड़ों के अनुसार राज्य में स्थाई भवन में संचालित विधालयों में औसतन 1500 बच्चे प्रति विधालय पढ़ाई कर रहे हैं जबकि अस्थाई भवन में चलने वाले विधालयों में मात्र लगभग 450 बच्चों का ही नामांकन हो पाता है । जाहिर है अगर स्थाई भवन के लिए राज्य की सरकार जमीन उपलब्ध करा देती तो अभी जितने बच्चे वहां पढ़ रहे हैं उससे तीन गुणा अधिक बच्चों को पढ़ने की सुविधा मिल जाती। ज्ञातव्य है कि केन्द्रीय विधालयों के संचालन हेतू 100 प्रतिशत राशि भारत सरकार द्वारा खर्च किया जाता हैं ।जमीन सिर्फ राज्य की सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जाती हैं । देश के सभी राज्यों के लिए ऐसा ही नियम है । ऐसे में बिहार सरकार जमीन देने से सीधे तौर पे मना नहीं कर सकती हैं । यहीं कारण है कि जमीन देने के लिए अजीबोगरीब शर्तों का सहारा ले रही हैं । उन्होंने पत्रकारों को आगे बताया कि वर्ष 2017 में ही बिहार सरकार ने भारत सरकार के शिक्षा विभाग को एक पत्र लिखकर कहा है कि केन्द्रीय विधालय के लिए भारत सरकार को जमीन तभी उपलब्ध कराई जाएगी जब इस बात का अंडरटेकिंग केन्द्र सरकार दे की खुलने वाले विधालय में कम से कम 50 प्रतिशत बिहार के बच्चों के नामांकन की व्यवस्था सुनिश्चित हो । राज्य सरकार की इस अड़ंगेबाजी का सच और हकीकत जानने हेतु केन्द्रीय विधालय संगठन ने एक सर्वे करवाया । जिसके अनुसार प्रदेशभर में संचालित विधालयों में 95-98-99 और 100 फीसदी बच्चेंं बिहार के ही है । अब यह बात समझ से पड़े है कि आखिर जब 90-99 और 100 फीसदी बच्चे बिहार के हैं ही तो 50 प्रतिशत की शर्त रखने का आखिर क्या अर्थ है । स्पष्ट है ऐसी शर्त स्कूल नहीं खोलने देने के लिए बहानेबाजी है और कुछ नहीं । श्री यादव ने आगे पत्रकारों से कहा कि बिहार में राज्य सरकार के विधालयों एंव महाविद्यालयों में भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की स्थापना हेतू अनेक तरह के सुधारों की जरुरत है । ऐसे ही सुधारों की अपेक्षा से अपनी 25 सूत्री मांगों के साथ वर्ष 2016 से ही हमारी पार्टी की ओर से निरंतर "शिक्षा सुधार- पुस्तक उपहार , शिक्षा सुधार - शिक्षक - सत्कार , शिक्षा - सुधार , मानव कतार " आदि कार्यक्रम चलाऐ जाते रहे है । उक्त मौके पर रालोसपा जिलाध्यक्ष अंनत कुशवाहा के अलावे प्रदेश उपाध्यक्ष लालबाबू महतो, रामदयालु महतो, बेलार राजा, विनोद चौधरी निषाद, ब्रजनंदन महतो युवा जिलाध्यक्ष के साथ ही विकेश कुशवाहा, दिलीप कुशवाहा सहित सैकड़ों पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ दर्जनों पत्रकार मौजूद थे ।