सबको नि: शुल्क शिक्षा के लिए आइसा आंदोलन को और तेज करेगी - सुनील
राजेश कुमार वर्मा
समस्तीपुर,बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज कार्यालय १४ नवम्बर १९ ) । फीस वृद्धि के खिलाफ लड़ रहे जेएनयू के छात्रों पर भाजपा- संघ के मोदी सरकार के ईशारे पर पुलिस द्वारा लाठी, गोली चलाने के खिलाफ बुधवार को आइसा ने बीआरबी कालेज के समक्ष मानव श्रृंखला बनाकर विरोध जताया। देशव्यापी अभियान के तहत शहर के बीआरबी कालेज से छात्रों ने मांगों से संबंधित नारे लिखे तख्तियां, झंडे, बैनर लेकर कालेज परिसर से नारे लगाते हुए जुलूस निकाला जो विभिन्न मार्गों से गुजरकर कालेज गेट के समक्ष जुलूस मानव श्रृखंला में तब्दील हो गया।उपस्थित छात्र- छात्राओं ने एक- दूसरे के हाथ पकड़कर जमकर नारेबाजी करते रहे। छात्रों के प्रदर्शन को देखकर दर्शकों की भीड़ भी ईकट्ठी हो गई। श्रृंखला की समाप्ति सभा का आयोजन कर किया गया। अध्यक्षता जिला अध्यक्ष सुनील कुमार तथा संचालन मो० फरमान ने किया। मौके पर सुमन सौरभ, गंगा प्रसाद पासवान,प्रीति कुमारी, समरीन, निशा कुमारी, सुमन कुमारी, पूजा कुमारी, लक्ष्मी कुमारी,निधी कुमारी, ज्योति राज, पुष्पा कुमारी, रितु कुमारी, रेखा कुमारी, प्रियंका कुमारी,आरती कुमारी, काजोल कुमारी, रौशन कुमार, दिनेश कुमार, मासुम कुमार, मनीष कुमार, आलोक कुमार, समेत आइसा प्रभारी सह भाकपा माले नेता सुरेंद्र प्रसाद सिंह आदि ने सभा को संबोधित किया।
अपने अध्यक्षीय भाषण में आइसा सचिव सुनील कुमार ने कहा कि JNU अधिनायकवाद-फासीवाद-सामंती पोंगापंथी प्रतिक्रिया की ताकतों के हर हमले के खिलाफ सुसंगत लोकतांत्रिक विपक्ष है।
JNU शिक्षा - रोजगार- लोकतंत्र पर हर हमले के खिलाफ भारतीय छात्र-युवा समुदाय की लड़ाई की अग्रिम चौकी है, उसका अगुआ दस्ता है। JNU अंध आस्था, व्यक्तिपूजा, जातीय - लैंगिक - साम्प्रदयिक-बहुसंख्यक वादी अवैज्ञानिकता व अमानवीयता के विरुद्ध चिंतन, विचार, आलोचना , प्रतिवाद और अभिव्यक्ति की आज़ादी का केंद्र है।
फासीवादी अश्वमेघ के घोड़े की राह में JNU बहुत बड़ा रोड़ा है।
इसलिए हुक्मरान येन केन प्रकारेण हमारे इस सर्वोत्कृष्ट शिक्षण संस्थान को कुचल देने पर आमादा हैं-फीस बढ़ाकर, सीट घटाकर, उसे बदनाम कर-देशद्रोह का केंद्र साबित कर और अंततः लाठी गोली के बल पर। अत: JNU पर हमले के खिलाफ वहां के बहादुर छात्र-छात्राओं के साथ खड़े हों ताकि इस देश में हर जुल्म और नाइंसाफी के खिलाफ भारत की विद्रोही चेतना का निर्भय प्रतिवाद व प्रतिरोध देश की राजधानी में अनवरत गूंजता रहे और सत्ता प्रतिष्ठान की नींद हराम करता रहे ।