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सिंचाई पौधों की कि जाती है खेतों का नहीं : पंकज


राजेश कुमार वर्मा

ताजपुर/समस्त्तीपुर, बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज कार्यालय ) । जल ही जीवन है और इसका कोई विकल्प नहीं है ।जलवायु परिवर्तन के कारण आज बाढ़ और सूखे की समस्या से देश ग्रसित होते जा रहा है, वाहनों की बढ़ती संख्या, कारखानों के अधिक उपयोग,विकास के बदलते पैमाने, अंधाधुंध पेड़-पौधों की कटाई, बढ़ती आबादी, प्राकृतिक संसाधनों का दोहन और उपलब्ध संसाधनों के प्रति लापरवाही एवं किसानों में जागरूकता के अभाव के कारण किसानों के सामने जल संकट की समस्या खड़ी सी हो गई है, यह बातें पंकज कुमार कृषि समन्वयक ने मानपुरा पंचायत के सादीपुर में आयोजित किसान चौपाल कार्यक्रम में किसानों को संबोधित करते हुए कहा, कुमार का कहना है कि सूखा और बाढ़ दोनों ही समस्या जल संकट के दो पहलू इससे बचाव के लिए रासायनिक खेती के बजाए जैविक खेती अपनाना, खेतों के किनारे फलदार वृक्ष लगाना,अधिक से अधिक पेड़ लगाना, खेतों में फसलों के कटनी के बाद फसल अवशेष न जलाते हुए जैविक खाद के रूप में उपयोग करना, बूंद-बूंद सिंचाई,फव्वारा सिंचाई का उपयोग, भूगर्भीय जल भंडार को रिचार्ज करने के अलावा छत से बरसाती पानी को सीधे किसी टैंक में जमा करना ,बरसाती पानी को एक गढ्ढे के जरिये सीधे धरती को भूगर्भीय जल भंडारण में उतारना, तालाब,पोखरों के किनारे वृक्ष लगाना हरी खाद जैसे-सनई, ढांचा,मूंग, बरसीम इत्यादि का उपयोग करना, फसल चक्र अपनाकर हम जल को प्रदूषण से मुक्त रखते हुए जल प्रबंधन कर अपनी आय को दोगुनी करके जल संकट से उबड़ा जा सकता है, आम ,लीची अमरूद, केला,पपीता, गन्ना, अनेकों सब्जियां, फूल इत्यादि फसलों में ड्रिप से सिंचाई करने की सलाह दी गई बताया गया कि इस पद्धति से सिंचाई करने पर 20-70% तक पानी की बचत होती है साथ ही उपज में 20-90% तक वृद्धि होती हैं तथा उपलब्ध पानी से 2-3 गुणा अधिक क्षेत्रों में सिंचाई की जा सकती है। आज किसान धरती के अमूल्य रत्न पानी को व्यर्थ में खेत मे बहा देते हैं जबकी पंकज कुमार कृषि समन्वयक का कहना है की "सिंचाई पौधों की कीजाती है खेतों की नहीं"।
   प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना अंतर्गत ड्रिप पर भारत सरकार के द्वारा 90% तथा स्प्रिंकलर पर 75% तक अनुदान सभी श्रेणी के कृषको को दिया जा रहा है अनुदान के लिए कम से कम 100 डिसमिल का भूमि स्वामित्व प्रमाण पत्र, किसान रेजिस्ट्रेशन, फोटोग्राफ, मोबाइल नम्बर आदि का होना आवश्यक है, किसान स्वयं डी बी टी एग्रीकल्चर के वेवसाइट पर जा कर ऑन लाईन आवेदन कर सकते है । इस योजना का लाभ लेकर किसान जल सरंक्षण कर देश को सशक्त बना सकते है।लघु एवम सीमांत कृषको हेतु सिंचाई के लिए 5 हेक्टेयर को समूह हेतु 100% अनुदान पर शर्तो के साथ सामुदायिक नलकूप भी कृषि विभाग के द्वारा दिया जाएगा।
प्रशिक्षण कार्येक्रम में विनय कुमार प्रखंड कृषि पदाधिकारी ताजपुर ने जैविक खेती करने के लिए 25 एकड़ का क्लस्टर में किसान उत्पादक संगठन का निर्माण करने के लिए किसानों को प्रेरित किया जिस पर तत्काल सरकार के द्वारा अनुदान दिया जायेगा,प्रगतिशील कृषक सूर्यनारायण सिंह, सचिदानंद सिंह, केशरंजन प्रसाद सिंह, शंकर सिंह, अरुण कुमार सिंह, राजनारायण सिंह ने भी अपनी अपनी कृषि से संबंधित सुझाव साझा किया, कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मुखिया रश्मि देवी ने कहा कि जलवायु परिवर्तन को देखते हुए पानी की बचत के साथ साथ हमे हवा को भी स्वच्छ रखना है, खेत मे धान के पुआल को नही जलाना है उसे कंपोस्ट बनाकर मिटटी की उर्वरता बढ़ाने पर वल दिया।एक समय ऐसा था जब पानी बिकना शुरू हुआ तो मजाक समझा गया था लेकिन हम अभी भी नही सचेते गए तो हवा भी बिकना शुरू हो जायेगा इसलिए प्रदूषण को रोकने के लिए हर संभव प्रयास करना हम सभी की जिम्मेदारी है।मौके पर नृर्पेन्द्र कुमार कृषि समन्वयक ने कृषि विभाग के भिविन्न योजनाओं की जानकारी दी,सहायक तकनीकी प्रबंधक मारुत नंदन ने भी किसानों को प्रशिक्षित किया, मौके पर चंद्रदेव राय ,किसान सलाहकार संतोष कुमार झा,अभदेश कुमार सिंह ,सत्यनरायन सिंह, त्रिवेणी सिंह, मो०अफरोज अहमद ,आलोक कुमार, लालबाबू सिंह सहित सैकड़ों किसान ने किसान चौपाल कार्यक्रम में भाग लिया।

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