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सीता के बिना राम की कहानी न तो आरंभ होगी और न ही अंत फिर सीता के धरती के साथ अन्याय क्यों....

रोहित कुमार सोनू

( मिथिला हिन्दी न्यूज) मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की जन्मस्थली अयोध्या श्रीराम मंदिर बनाने का रास्ता साफ हो गया हैं फेसले को लेकर बराबर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में रही लेकिन उनको मर्यादा पुरुषोत्तम बनाने में अपना सर्वस्व न्योछावर करनेवाली उनकी अनुगामिनी माता सीता की प्राकट्यस्थली ‘सीतामढ़ी को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महत्व नहीं मिल पाया है। इस पावन स्थली की महत्ता का बखान करें तो यह वह स्थली है, जहां ब्रह्मा की कृपा रूपी प्रेरणा से महर्षि वाल्मीकि ने आदि काव्य रूप रामायण की रचना की थी। यहां की धरती पर महर्षि वाल्मीकि आश्रम में सभी माताओं की वंदनीय आदर्श रूप सीताजी के सतीत्व के रक्षार्थ द्वितीय वनवास के निर्वासन काल की आश्रय स्थली है। जहां महर्षि के सानिध्य में लव-कुश कुमारों की शिक्षा-दीक्षा हुई और श्रीराम के अश्वमेध यज्ञ के घोड़े को पकड़कर बांधने के बाद उनकी चतुरंगिनी सेना को परास्त किया। पर सीतामढ़ी के जनता में आक्रोश जग जाहिर है, बीजेपी नेता प्रभात झा की पहल पर 24 अप्रैल , 2018 को बिहार के नीतीश कुमार ने ऐलान किया था कि मां जानकी के भव्य मंदिर निर्माण और सीतामढ़ी को धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए बिहार सरकार 48 करोड़ खर्च करेगी. मुख्यमंत्री ने कहा था पुनौरा धाम के जीर्णोद्धार और मां सीता के भव्य मंदिर के निर्माण का कार्य अगले 2 वर्ष का पूरा हो जाएगा. अगर वो सीता मां   के  धरती को पर्यटन स्थल और उनके वादा पूरा कराने में सफल रह पाते हैं तो विकास पुरूष की छवि के साथ सामाजिक सरोकार का दांव उनकी राजनीति को और मजबूत बनाएगा.

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