राजेश कुमार वर्मा
समस्त्तीपुर, बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज कार्यालय ) । गेंहू फसल में अच्छी पैदावार के लिए समय पर सिचाईं करना आवयश्क है,गेंहू फसल में बुआई के 20 से 21 दिन पर पहली सिंचाई जड़ के क्रांतिक अवस्था में करना अत्यंत आवश्यक है, अगर इस अवस्था (CRI) में किसान भाई सिंचाई नहीं कर पाते हैं तो उत्पादन में 2 से 3 क्विंटल प्रति हैक्टेयर की कमी होती है,यह बातें हरिशंकरपुर बघौनी में पंचायत भवन परिसर में किसान चौपाल कार्यक्रम मे कृषि समन्वयक पंकज कुमार ने कही। बताया गया की गेंहू की अधिक पैदावार के लिए 1-15 नवंबर तक बुआई करें, अगर 15 नवंबर तक बुआई संभव नहीं है तो हर हाल मे 25 नवंबर से पहले गेंहू की बुआई कर लें, देरी से बुआई करने पर प्रत्येक दिन 25 से 35 किलोग्राम प्रति एकड़ गेंहू की पैदावार कम हो जाती है।
कम खर्च एवम समय बचाने के लिए शून्य जुताई (जीरो टिलेज) तकनीक से बिना खेत जोते गेंहू की बुआई करे।
जुताई के बाद जीरो टिलेज मशीन से गेहूं की बुआई करने से पैदावार में गिरावट आती है एवम बुआई का खर्च भी अधिक होता है।गेंहू की समय से बुआई करने पर बीज दर 40 किलो ग्राम प्रति एकड़, विलंब से बुआई करने पर 50 किलोग्राम प्रति एकड़ एवं अति बिलम्ब से बुआई करने पर 60 किलोग्राम प्रति एकड़ बीज की जरूरत होती हैं।
गेंहू के समय से बुआई के लिए उन्नत प्रभेद HD 2967, HD 2733,HD 2824, PBW 343, PBW 443 इत्यादि एवं बिलंब से बुआई करने के लिए PBW 373, DBW 14, HD 2643 इत्यादि प्रभेद का चयन कर सकते हैं। समय से बुआई करने पर 20-22 क्विंटल प्रति एकड़ (50-55 क्विंटल प्रति हेक्टेयर) एवं विलंब से बुआई करने पर 14-16 क्विंटल प्रति एकड़ (35-40 क्विंटल प्रति हेक्टयर) उपज होती है।
पहली सिंचाई-बुआई के 20 से 21 दिन बाद (CRI अवस्था)
दूसरी सिंचाई-बुआई के 40-45 दिन बाद ( कल्ले निकलते समय)
तीसरी सिंचाई-बुआई के 60 से 65 दिन बाद(गांठ बनते समय)
चौथी सिंचाई- बुआई के 80 से 85 दिन पर ( पुष्पावस्था के समय)
पांचवी सिंचाई- बुआई के 100 से 105 दिन पर (दुग्धवस्था के समय)
गेंहू में स्प्रिंकलर से सिंचाई करने पर सिंचाई लागत में कमी आती है साथ ही साथ पानी की भी बचत होती है, स्प्रिंकलर से सिंचाई करने पर सरकार के द्वारा 75 प्रतिशत अनुदान देय है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व मुखिया राम कृपाल राय ने किया और कहा की कृषि विभाग के सभी योजनाओं की जानकारी अब किसानों को मिल रही है एवं किसान इसका लाभ भी ले पा रहे हैं, कृषि के भिविन्न तकनीको को किसान को हर हाल में अपनाना ही होगा तभी किसानों की आय दुगुनी हो सकती है। पूर्व मुखिया सह प्रगतिशील कृषक राम कृपाल राय ने कृषको को संबोधन में कहा कि पंचायत में FPO का निर्माण करने के लिए कृषि समन्वयक को कहा, बताया कि किसान उत्पादक संगठन के निर्माण से मार्केटिंग की समस्या से आसपास के कृषक हमेशा के लिए निजात पा सकते है।मौके पर मनीष कुमार, बैधनाथ राय, रामनाथ राय, राहुल कुमार, बिनोद सिंह, मीना देवी, शत्रुधन कुमार, रामचंद्र राय, पप्पू सिंह, उमा शंकर चौधरी, अवदेश कुमार सिंह, सुनील कुमार सिंह , उप सरपंच मुकेश दास आदि सैकड़ो किसानों ने प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लिया।