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13 दिसंबर 2001 को संसद पर कैसे हुआ था हमला ? सांसदों में क्यों मच गयी थी दहशत ?

रोहित कुमार सोनू


आपको याद है 13 दिसंबर, 2001 को 45 मिनट में लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर को गोलियों से छलनी करके पूरे हिंदुस्तान को झकझोर दिया था. संसद पर जैश-ए-मोहम्मद के पांच आतंकवादियों ने हमला किया था।

हमले के सिलसिले में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी अफजल गुरु को दोषी पाया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2004 में उसे मौत की सजा सुनाई थी।

इस हमले में देश के आठ सुरक्षाकर्मी शहीद हुए थे। हमले में संसद के एक कर्मचारी की भी मौत हो गई थी। इस हमले के दौरान कई केंद्रीय मंत्री और सांसद समेत करीब 200 लोग संसद परिसर में मौजूद थे।

यह हमला पाकिस्तान की भारत के लोकतंत्र के मंदिर को नेस्तनाबूद करने की साजिद थी, लेकिन हमारे सुरक्षाकर्मियों ने अपनी जान की परवाह न करते हुए इन आतंकियों के मंसूबों पर पानी फेर दिया।

हमला केसै हुई - 

13 दिसंबर, 2001 को आम दिनों की तरह उस दिन भी संसद की कार्यवाही चल रही थी। दोनों सदन गोलीबारी से करीब 40 मिनट पहले ही स्थगित हुए थे।

इसी बची सुबह करीब 11.25 पर एके-47 बंदूकों और हैंड ग्रेनेड से लैस पांच आतंकियों ने लोकतंत्र के मंदिर पर हमला बोल दिया।

देश को दहलाने वाले ये आतंकी गृह मंत्रालय का स्टीकर लगाकर लालबत्ती वाली सफेद एंबेसेडर कार से आए थे। अचानक हुए हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया था।

हमले के दौरान देश के कई बड़े नेता और सासद संसद भवन के परिसर में ही थे और सभी सुरक्षित थे। हालांकि हमले से पहले ही प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और विपक्ष की नेता सोनिया गांधी संसद से निकल चुकी थीं। इस हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के रिश्ते काफी खराब हो गए थे।

मुकाबला

संसद परिसर के अंदर मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने अचानक हुए हमले का बड़ी वीरता से सामना किया। लोकतंत्र के इस मंदिर में कोई आंच न आए, इसलिए उन्होंने अपनी जान की बाजी लगा दी। सुरक्षाकर्मियों ने बड़ी ही वीरता से सभी आतंकियों को मार गिराया। आतंकियों का सामना करते हुए दिल्ली पुलिस के पांच जवान, सीआरपीएफ की एक महिला कांस्टेबल और संसद के दो गार्ड शहीद हुए। 16 जवान इस दौरान मुठभेड़ में घायल हुए।

गिरफ्तारी

हमले की साजिश रचने वाले मुख्य आरोपी अफजल गुरु को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया। संसद पर हमले की साजिश रचने के आरोप में सुप्रीम कोर्ट ने 4 अगस्त, 2005 को अफजल गुरु को फांसी की सजा सुनाई थी। कोर्ट ने आदेश दिया था कि 20 अक्टूबर, 2006 को अफजल को फांसी पर लटका दिया जाए। लेकिन 3 अक्टूबर, 2006 को अफजल की पत्नी तब्बसुम ने राष्ट्रपति के पास दया याचिका दाखिल कर दी।

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