रोहित कुमार सोनू
15 साल पहले आज के ही दिन यानी 26 दिसंबर 2004 को दुनिया के सामने ऐसी भयावह स्थिति पैदा हुई थी जिसने मानव जाति को बता दिया था कि प्रकृति से बढ़ कर कुछ नहीं होता।साल के आखिरी महीने का 26वां दिन है. यह तारीख इतिहास में एक भीषण तबाही के लिए याद की जाती है. साल 2004 में आज ही के दिन इंडोनेशिया के उत्तरी भाग स्थित असेह के निकट 8.9 तीव्रता के भूकंप के बाद समुद्र के भीतर उठी सुनामी ने भारत सहित कई देशों में भारी तबाही मचाई थी. हिंद महासागर से उठी उग्र लहरों का पानी रात के अंधेरे में कई तटीय इलाकों में बसे रिहायशी क्षेत्रों में घुस गया और सबकुछ तहस-नहस कर दिया.
उस समय तक सुनामी की पूर्व चेतावनी जैसी कोई प्रणाली प्रचलन में नहीं थी. इसी का नतीजा था कि इस समुद्री त्रासदी की आमद का किसी को एहसास तक नहीं था. थाइलैंड और अन्य देशों में समुद्र किनारे बने होटलों और रिसॉर्ट में बड़ी संख्या में ठहरे विदेशी पर्यटकों की इस समुद्री कहर ने जान ले ली. इस भूकंप और सुनामी से जो तबाही हुई वैसी पिछले 40 साल में विश्व ने नहीं देखी थी.
15 साल पहले आज के ही दिन यानी 26 दिसंबर 2004 को दुनिया के सामने ऐसी भयावह स्थिति पैदा हुई थी जिसने मानव जाति को बता दिया था कि प्रकृति से बढ़ कर कुछ नहीं होता।साल के आखिरी महीने का 26वां दिन है. यह तारीख इतिहास में एक भीषण तबाही के लिए याद की जाती है. साल 2004 में आज ही के दिन इंडोनेशिया के उत्तरी भाग स्थित असेह के निकट 8.9 तीव्रता के भूकंप के बाद समुद्र के भीतर उठी सुनामी ने भारत सहित कई देशों में भारी तबाही मचाई थी. हिंद महासागर से उठी उग्र लहरों का पानी रात के अंधेरे में कई तटीय इलाकों में बसे रिहायशी क्षेत्रों में घुस गया और सबकुछ तहस-नहस कर दिया.
उस समय तक सुनामी की पूर्व चेतावनी जैसी कोई प्रणाली प्रचलन में नहीं थी. इसी का नतीजा था कि इस समुद्री त्रासदी की आमद का किसी को एहसास तक नहीं था. थाइलैंड और अन्य देशों में समुद्र किनारे बने होटलों और रिसॉर्ट में बड़ी संख्या में ठहरे विदेशी पर्यटकों की इस समुद्री कहर ने जान ले ली. इस भूकंप और सुनामी से जो तबाही हुई वैसी पिछले 40 साल में विश्व ने नहीं देखी थी.