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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के समस्त्तीपुर जिले के दौड़ा को लेकर मचा प्रशासनिक उहापोह, करोड़ों खर्च लेकिन विकास बाधित



राजेश कुमार वर्मा

समस्तीपुर,बिहार (मिथिला हिन्दी न्यूज कार्यालय )। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के समस्तीपुर आगमन के कारण पिछले 15 दिनों से जिले के अधिकांश अधिकारियों की रातों नींद उड़ गई है । इसके साथ ही जिले का विकास के काम तो दूर की बात हो चुका है । क्योंकि कोई ऐसा दिन नहीं जिस दिन जिले के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक दरभंगा प्रमंडल में ना हो और जिला समाहरणालय में जेल के अधिकारियों की बैठक दिन रात चल रही है । जिसके कारण हम लोगों को काम बाधित होने की समाचार मिल रहा है । चिंता की बात यह है कि कि आज से 40 साल पहले इंदिरा आवास सरकार द्वारा दिए गए दलित महादलितों को जो भवन किसी न किसी गांव के पोखरे पर बनाए गए थे या श्मशान घाट में । इस बार जिले के लाखों रुपए से बनाए गए इंदिरा आवास को तोड़े जाने और भूमिहीनों के पोखरे के भिंडा पर से बेदखल किए जाने को लेकर समस्तीपुर जिले समेत बिहार के विभिन्न जिलों में गरीबों को बेघर किए जाने का भी समाचार है । किसी भी सरकारी पैसे से बने भवन को तोड़े जाने से पहले सरकार को को इससे वंचित समाज के लोगों के लिए रहने की घर पहले इंतजाम करने की आवश्यकता है । परंतु किसी की हिम्मत है की मुख्यमंत्री के सामने कुछ कहने की हिम्मत जुटा पाते । जिस कारण लाखों लाख लोगों को बेघर होने की आशंका जताई जा रही है । सबसे दिलचस्प बात यह है कि मुख्यमंत्री के आगमन से माफियाओं में खुशी की लहर दौड़ गई है । क्योंकि मुख्यमंत्री के आगमन पर दुल्हन की तरह समस्तीपुर जिले के कुछ हिस्से को सजाने संभालने की कार्रवाई युद्ध स्तर पर चल रही है । परंतु जिले की स्थिति हर मोर्चे पर काफी खराब और नाजुक दौड़ से गुजर रहा है । मुख्यमंत्री के आगमन की सूचना से हर तबके की माफिया में चहल-पहल देखी जा रही हैं । वहीं बड़े-बड़े पोस्टर बैनर भी लगाए जा रहे हैं । जबकि सरकारी कर्मचारियों एवं सरकारी ऑफिस में काम करने वाले ठीका के मजदूरों को बेल्ट्रॉन कंपनी एवं अन्य कंपनियों के माध्यम से रखे गए कर्मचारियों को भुगतान ऑनलाइन किए जाने के बाद भी 2 से ₹3000 प्रतिमाह काट लिए जाने के भी समाचार हैं । जबकि डिग्री महाविद्यालय के शिक्षकों के 2012 से अनुदान की राशि की भुगतान नहीं किए जाने की भी खबर है । लोगों में यह भी चर्चा है कि मुख्यमंत्री के आगमन से इनके ऊपर कई करोड़ रुपए खर्च होने की संभावना है । इतनी राशि में कई महीनों का तनख्वाह दिया जा सकता था । परंतु मुख्यमंत्री उपमुख्यमंत्री सांसद और विधायकों को प्रत्येक माह के 25 से 30 तारीख के भीतर वेतन उपलब्ध हो जाता लेकिन जिन कर्मचारियों के बल पर बिहार की दशा और दिशा सुधरेगी उसके लिए कोई बोलने तक की हिम्मत नहीं जुटा पाते हैं वाह रे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की कागजीकरण विकास का आईना । समस्तीपुर से राजेश कुमार वर्मा

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