रोहित कुमार सोनू
खराब शिक्षा व्यवस्था के लिए बदनाम बिहार पर आपको जानकर हैरानी होगी गया का पटवाटोली गांव बुनकरों की आबादी के लिए जाना जाता है. लेकिन यहां की 10 हज़ार की आबादी में से अब तक 300 से ज्यादा इंजीनियर निकल चुके हैं.बुनकरों के गांव पटवाटोली में इस सोशल इंजीनियरिंग की शुरुआत 1992 से हुई थी. उस वक़्त जीतेन्द्र प्रसाद ने सबसे पहले आईआईटी पास किया था उसके बाद से ही हर वर्ष दर्जनों छात्र आईआईटी पास करने का सिलसिला शुरू हुआ. 1990 के दौर में जब पटवाटोली के आसपास आर्थिक मंदी का दौर आया तो पटवाटोली के बुनकर अपने बच्चों की पढ़ाई की तरफ ध्यान देने लगे. तब से लेकर आज तक अभाव में रहने वाले पटवाटोली गांव के बच्चे लगातार अपने इलाके का नाम रौशन कर रहे हैं.इसके बाद जितेंद्र प्रसाद वर्ष 2000 में नौकरी करने अमेरिका चले गए लेकिन उनकी कामयाबी ने पटवाटोली के छात्रों में इंजीनियर बनने की ललक पैदा कर दी. पटवाटोली के पूर्व इंजीनियरिंग छात्रों ने मिलकर नवप्रयास नाम से एक संस्था बनाई है जो IIT की परीक्षा देने वाले छात्रों को पढ़ाई में मदद करती है.
खराब शिक्षा व्यवस्था के लिए बदनाम बिहार पर आपको जानकर हैरानी होगी गया का पटवाटोली गांव बुनकरों की आबादी के लिए जाना जाता है. लेकिन यहां की 10 हज़ार की आबादी में से अब तक 300 से ज्यादा इंजीनियर निकल चुके हैं.बुनकरों के गांव पटवाटोली में इस सोशल इंजीनियरिंग की शुरुआत 1992 से हुई थी. उस वक़्त जीतेन्द्र प्रसाद ने सबसे पहले आईआईटी पास किया था उसके बाद से ही हर वर्ष दर्जनों छात्र आईआईटी पास करने का सिलसिला शुरू हुआ. 1990 के दौर में जब पटवाटोली के आसपास आर्थिक मंदी का दौर आया तो पटवाटोली के बुनकर अपने बच्चों की पढ़ाई की तरफ ध्यान देने लगे. तब से लेकर आज तक अभाव में रहने वाले पटवाटोली गांव के बच्चे लगातार अपने इलाके का नाम रौशन कर रहे हैं.इसके बाद जितेंद्र प्रसाद वर्ष 2000 में नौकरी करने अमेरिका चले गए लेकिन उनकी कामयाबी ने पटवाटोली के छात्रों में इंजीनियर बनने की ललक पैदा कर दी. पटवाटोली के पूर्व इंजीनियरिंग छात्रों ने मिलकर नवप्रयास नाम से एक संस्था बनाई है जो IIT की परीक्षा देने वाले छात्रों को पढ़ाई में मदद करती है.