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मुशहर समाज के लोगों को एक डिसमिल भी जमीन नहीं


 राजेश कुमार वर्मा संग आसीफ़ रजा
                                   मुजफ्फरपुर, बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज कार्यालय ) । मुजफ्फरपुर जिले के प्रखंड मुख्यालय तुर्की से सात कि० मी० पूरब-दक्षिण कोने स्थित दाने नदी किनारे अवस्थित केरमाडीह पंचायत है। यहां सभी समुदाय व सम्प्रदाय के लोगों बसे हैं। चार मौजे केरमाडीह, सरमस्ता, बडाकपूर व केरमा वाली पंचायत की आबादी 13,700 है।
आजादी के पूर्व और वर्तमान में शिक्षा, स्वास्थ्य, सडक, बिजली इन सभी सरकारी योजनाओं में पंचायत विकास की ओर अग्रसर है, लेकिन समाज में शिक्षा के स्तर पर अनुसूचित जाति (मुशहर) समुदाय काफी पिछड़ गया है। इनकी पहचान पांच किमी दूर से ही 15 सौ आबादी वाले अनुसूचित जाति के (मुशहर) राघोराम से है। इस समुदाय के प्रत्येक परिवार को एक डिसमिल जमीन मुश्किल से है। पंचायत के विभिन्न वार्डो मे बसे 80 परिवार ऐसे हैं जिनको आजतक डीलरों द्वारा एक छंटाक अनाज नहीं दिया गया। वहीं, दो दर्जन घूमंतू परिवार स्थायी रूप से तंबूक गाड़ कर जीवन बसर कर रहे हैं। इनके बच्चे पढ़ने की बजाए भीख मांगकर परिवार के भरण-पोषण में सहयोग करते हैं। चौपाल में उपस्थित अरविंद झा ने कहा कि केरमाडीह के 60 फीसद लोग नकदी कृषि पर निर्भर हैं। सरकार द्वारा उन्नत किस्म की बीज उपलब्ध कराने के साथ सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराई जाए तो कृषकों की आमदनी दोगुनी हो सकती है। पूनम देवी कहती हैं कि तेजी से बढ़ते औद्योगीकरण भूमंडल वरदान की जगह अभिशाप दिखने लगा है। अगर समय रहते लोग नहीं चेते तो आना वाला दिन विनाशकारी सिद्ध होगा। केरमाडीह निवासी संजय सहनी कहते हैं कि आजादी के इतने दिनों के बाद तक मछुआरा समाज का विकास नहीं हुआ। सरकार को चाहिए कि मछली और मूस मारने वाले को विशेष पैकेज देकर उनका आर्थिक व सामाजिक उत्थान करे। मिथिलेश झा, सुमन कुमार कहते हैं कि सरकार की सोच के अनुसार जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों को ईमानदारी से विभिन्न योजनाओं को सुचारू रूप से चलाना चाहिए। कमल सिंह, विभा देवी, राकेश कुमार चौधरी ने कहा कि पंचायत में जनवितरण प्रणाली की दुकान एवं आंगनबाडी केंद्रों का ईमानदारी से निरीक्षण होता तो घपला-घोटाला एवं भ्रष्टाचार की कही कोई गुंजाइश नहीं बनती। राजा सहनी, केशरी देवी, संजय बैठा, पंकज बैठा ने चौपाल के माध्यम से अनुसूचित जाति बहूल्य केरमा में लोगों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने की बात कही। सैकड़ों परिवार जो बिहार सरकार की जमीन या मालिक की पर जमीन पर बसे हैं, उन्हें बासकीत पर्चा देना चाहिए। अनुसूचित जाति के कुछ् ऐसे परिवार हैं जहां दादा, बेटा, पोता तीनों एक ही झोपड़ीनुमा घर में रह रहे हैं। मुखिया का
जागरूकता अभियान चलाकर प्रधानमंत्री के बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान को बुलंद करने में जुटी हूं। सरकार द्वारा मुखिया के शक्ति का विकेन्द्रीकरण से योजनाओं के संचालन में कुछ बाधाएं उत्पन्न होती हैं। गली-नाली व नल-जल योजना का लोगों को लाभ दिलाई हू्रं। आवास, सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजनाओं का लाभ 740 लोगों को दिलाई।
कामिनी विनीत, मुखिया।
चौपाल में हुए शामिल : पूनम देवी, वीणा देवी, सुनीता देवी, रिंकू देवी, कमल भगत, विभा देवी, राजेश कुमार, संजय कुमार सहनी, सुमन कुमार, राजू, मिथिलेश झा उर्फ बूडा, अरविंद झा, राकेश कुमार चौधरी, सुदामा साह ,रागिनी देवी, केशरी देवी, संजय बैठा, पंकज बैठा, निक्की कुमारी, साधुशरण चौधरी, रवि चौधरी । पंचायत एक नजर में इसके अंतर्गत वार्ड-15
आबादी-13,700
सामुदायिक भवन-1
पंचायत भवन-1, पैक्स गोदाम -1, खेल मैदान-1
प्राथमिक विद्यालय-1,
मध्य विद्यालय-4,
बुनियादी विद्यालय- 1,
मंदिर-3, मस्जिद-3,मठ-1
शिवालय-1, रैन बसेरा--1
स्वास्थ्य केंद्र - 1,
आंगनबाड़ी केंद्र-15 बना हुआ है । समस्त्तीपुर से राजेश कुमार वर्मा

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