राजेश कुमार वर्मा संग अनुप सिंह
पटना,बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज कार्यालय ) । नासा में काम करने वाले और आइंस्टीन के सिद्धांत को चुनौती देने वाले महान गणितज्ञ अपनी मानसिक बीमारी के कारण मध्यप्रदेश के खंडवा रेलवे स्टेशन से लापता हो गए थे। इसके बाद वे करीब चार सालों तक सड़कों पर रातें बिताते रहे।भोजपुर जिले के बसंतपुर गांव के गरीब परिवार में जन्मे वशिष्ठ नासा से भी जुड़ गए थे, लेकिन उन्हें सिजोफ्रेनिया ( Schizophrenia ) नामक बीमारी होने के कारण उनकी मानसिक हालत खराब हो गई। 1989 में वे तब सुर्खियों में आ गए थे, जब वे मध्यप्रदेश के खंडवा रेलवे स्टेशन पर उतरकर गायब हो गए थे। वे अपना और पता भी बताने की स्थिति में नहीं थे।बात अगस्त 1989 की है। जब उनके भाई रांची से रैफर करवाकर पुणे इलाज के लिए ले जा रहे थे, तभी खंडवा रेलवे स्टेशन पर गाड़ी रुकी तो वे अचानक ट्रैन से उतर गए। उस समय ट्रेन में भीड़ अधिक थी और वे कब भीड़ में खो गए और उधर-उधर हो गए पता ही नहीं चला। वे उनके भाई से बिछड़ गए थे। कई दिनों तक वे खंडवा रेलवे स्टेशन और उसके आसपास भिखारियों की तरह जीवन यापन करते रहे। उनकी हालत देखकर कोई भी नहीं पहचान पाया कि यह महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह हैं। मध्यप्रदेश में करीब चार साल तक गुमनामी की जिंदगी जीने के बाद भीख मांगते हुए नजर आए। इसके बाद उन्हें उनके गांव भिजवा दिया गया। इसके बाद बिहार सरकार ने इलाज के लिए बेंगलुरु भिजवाया। मार्च 1993 से जून 1997 तक उनका इलाज चलता रहा। इसके बाद से वे अपने गांव में ही रहते थे।आइंस्टीन को चुनौती देकर आए थे सुर्खियों में महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह ने जब आइंस्टीन के सिद्धांत को चुनौती दी तो वे दुनियाभर में सुर्खियों में आ गए थे। कम उम्र में ही उन्हें अपने सिद्धांतों के कारण ख्याति मिल गई थी। भोजपुर जिले के वसंतपुर गांव के गरीब परिवार में जन्मे वशिष्ठजी अपनी काबिलियतके बल पर नासा तक पहुंच गए थे, लेकिन जवानी के दिनों में ही ही उन्हें सीजोफ्रेनिया नामक बीमारी हो गई। इसकी वजह से वह पिछले दो दशक से गुमनामी की जिंदगी जी रहे थे।
#ऐसे थे वशिष्ठ नारायण
-वशिष्ठ नारायण सिंह का जन्म 2 अप्रैल 1946 को हुआ।
-डॉक्टर वशिष्ठ नारायण सिंह पिछले 44 साल से सीजोफ्रेनिया (मानसिक बीमारी) से पीड़ित थे।
-उनके बारे में बताया जाता है कि जब वे नासा में काम करते थे तब एक बार अपोलो (अंतरिक्ष यान) की लॉन्चिंग से पहले 31 कम्प्यूटर कुछ समय के लिए बंद हो गए थे। इस दौरान उन्होंने पेन और पेंसिल से ही कैलकुलेशन करना शुरू कर दिया था। जब कम्प्यूटर ठीक हुआ तो उनका और कम्प्यूटर्स का कैलकुलेशन एक जैसा निकला। जिसे देख सभी वैज्ञानिक हैरान हो गए थे।
-वशिष्ठ ने नेतरहाट विद्यालय से मैट्रिक किया।
-वह संयुक्त बिहार में टॉपर रहे थे।
-वशिष्ठ जब पटना साइंस कॉलेज में पढ़ते थे, तब कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जॉन कैली की नजर उन पर पड़ी। कैली ने उनकी प्रतिभा को पहचान लिया और 1965 में वशिष्ठ को अपने साथ अमेरिका ले गए थे। 1969 में उन्होंने कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी से PHD की और वाशिंगटन यूनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफेसर बन गए।
-नासा में भी काम किया, लेकिन मन नहीं लगा और 1971 में भारत लौट आए। उन्होंने आईआईटी कानपुर, IIT मुंबई और ISI कोलकाता में भी काम किया।
वशिष्ठजी के बारे में बताया जाता है कि 1973 में वशिष्ठ नारायण की शादी वंदना रानी सिंह से हुई थी। उसके बाद उनके असामान्य व्यवहार के बारे में पता चला। वे अक्सर छोटी-छोटी बातों पर बहुत गुस्सा हो जाते थे, कमरा बंद करके दिनभर पढ़ते रहते थे। रात भर जागते रहते थे। उनके व्यवहार के कारण उनकी पत्नी ने तलाक ले लिया था। समस्त्तीपुर से राजेश कुमार वर्मा