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केंद्र सरकार की नई श्रम नीति, निजीकरण / निगमीकरण और एनपीएस के विरोध में रेलवे कर्मचारियों के बीच जागरूकता बैठक ई०सी०आर० ई०यू० द्वारा की गई


राजेश कुमार वर्मा

रक्सौल, बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज कार्यालय ) । पूर्व मध्य रेल मंडल के रक्सौल जंक्शन स्टेशन पर ई०सी०आर० ई०यू० द्वारा केंद्र सरकार की नई श्रम नीति, निजीकरण / निगमीकरण और एनपीएस के विरोध में रेलवे कर्मचारियों के बीच जागरूकता बैठक की गई । जिसमें रक्सौल रेलवे के बहुत सारे कर्मचारी उपस्थित थे। उक्त जागरूकता बैठक सभा को संबोधित करने वालों में ई० सी०आर० ई० यू के अध्यक्ष ए.एन. पटेल , डिविजिनल सेक्रेटरी रत्नेश वर्मा , जॉइंट सेक्रेटरी संजीव मिश्रा , सहायक सचिव संतोष पासवान , प्रेम ठाकुर , बृजमोहन ठाकुर , अंगद राम, भारत बैठा , गौरव कुमार , अनिल मुखिया , रिंकू झा , उमेश कुमार , जय बहादुर प्रमुख थे। सभा में उपस्थित रेलवे कर्मचारियों में सुबोध राय ,अंतेश कुमार , विजय कुमार ,दीपक कुमार , पवन मल्लिक , अजय यादव , सोनेलाल मल्लिक , गौरव कुमार , श्रीमती मीना देवी , लखमिनिया देवी , उषा देवी , चंदा कुमारी आदि प्रमुख थे । अध्यक्ष ए.एन. पटेल ने सरकार की रेलवे निजीकरण नीति की कड़ी आलोचना करते हुए आर-पार की लड़ाई करने का आह्वान किया। वहीं उन्होंने 08 जनवरी 2020 को पूरे भारत में निजीकरण के विरुद्ध सभी ट्रेड-यूनियन के द्वारा किये जा रहे भारत--बंद का समर्थन करने के लिए तमाम रेल--कर्मचारियों से अपील की। सभा को संबोधोत करते हुए ई० सी० आर० ई० यू के डिविजनल सेक्रेटरी रत्नेश वर्मा ने सरकार द्वारा पार्ट-पार्ट में रेलवे को प्राइवेट हाथों में दे देने के सरकारी प्रयास को तुरंत बंद करने के लिए बड़े आंदोलन चलाऐ जाने की आवश्यकता पर बल दिया। वहीं उन्होंने बताया कि 1924 से चली आ रही अलग रेल-बजट की परिपाटी को एक ही झटके में सरकार द्वारा 2016 से बंद कर दिया गया । जिसके बाद ही रेलवे के सात मुनाफ़ेवाली उत्पादन इकाइयों को निगम बना दिया गया। ए1 क्लास और ए क्लास के स्टेशनों को बेचा जाने लगा। वहीं संजीव मिश्रा ने बताया कि केवल ई० सी० आर० ई० यू हीं सरकार से लड़ाई कर रही है , बाकी के सारे यूनियन , फेडरेशन सरकार के काया-कल्प कमेटी में सदस्य बनकर मासिक रॉयल्टी उठा रहे है । जो कभी नहीं चाहेंगे कि रेल का निजीकरण नहीं हो। वहीं संतोष पासवान ने बताया कि रेलवे में ग्रुप डी और सी कैटेगरी की स्थिति बहुत हीं दयनीय है,उस पर ठेका पर आदमी रखे जा रहे है। जो लोग रिटायर हो रहे है, मृत्यु हो रहे है,उनके जगह पर ठेका मजदूर से काम कराया जा रहा है। स्थाई कर्मियों की बहाली न के बराबर है। समस्त्तीपुर से राजेश कुमार वर्मा

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