रोहित कुमार सोनू
प्याज और लहसुन के साथ-साथ खाने के तेल में भी महंगाई का तड़का लग गया है. आयात महंगा होने की वजह से खाने के तेलों के दाम में भारी इजाफा हुआ है और आने वाले दिनों में उपभोक्ताओं को इसके लिए अपनी जेब और ढीली करनी पड़ सकती है क्योंकि खाद्य तेल की महंगाई से राहत मिलने के आसार नहीं दिख रहा हैं।
पाम तेल के दाम में बीते दो महीने में 35 फीसदी से ज्यादा की तेजी आई है। देश के बाजारों में पाम तेल का दाम करीब 20 रुपए प्रति किलो बढ़ा है। पाम तेल में आई तेजी से अन्य खाद्य तेलों के दाम में भी भारी वृद्धि दर्ज की गई हैतेल-तिलहन बाजार विशेषज्ञ का कहना है कि बीते दो महीने से खाने के तमाम तेलों के दाम को पाम तेल से सपोर्ट मिल रहा है और मलेशिया एवं इंडोनेशिया से लगातार पाम तेल का आयात महंगा होने से खाद्य तेल की महंगाई आने वाले दिनों में और बढ़ सकती है। जनकारी के अनुसार अंतर्राष्ट्रीय बाजार से आयात महंगा होने के कारण आज भारत में खाद्य तेलों के दाम में वृद्धि देखी जा रही,लेकिन इससे देश के किसानों को तिलहनों का ऊंचा भाव मिल रहा है, जिससे वे तिलहनों की खेती करने को लेकर उत्साहित होंगे।अगर खाद्य तेल के मामले में आत्मनिर्भर बनना है तो किसानों को प्रोत्साहन देना ही पड़ेगा जो कि उन्हें उनकी फसलों का बेहतर व लाभकारी दाम दिलाकर किया जा सकता है।
प्याज और लहसुन के साथ-साथ खाने के तेल में भी महंगाई का तड़का लग गया है. आयात महंगा होने की वजह से खाने के तेलों के दाम में भारी इजाफा हुआ है और आने वाले दिनों में उपभोक्ताओं को इसके लिए अपनी जेब और ढीली करनी पड़ सकती है क्योंकि खाद्य तेल की महंगाई से राहत मिलने के आसार नहीं दिख रहा हैं।
पाम तेल के दाम में बीते दो महीने में 35 फीसदी से ज्यादा की तेजी आई है। देश के बाजारों में पाम तेल का दाम करीब 20 रुपए प्रति किलो बढ़ा है। पाम तेल में आई तेजी से अन्य खाद्य तेलों के दाम में भी भारी वृद्धि दर्ज की गई हैतेल-तिलहन बाजार विशेषज्ञ का कहना है कि बीते दो महीने से खाने के तमाम तेलों के दाम को पाम तेल से सपोर्ट मिल रहा है और मलेशिया एवं इंडोनेशिया से लगातार पाम तेल का आयात महंगा होने से खाद्य तेल की महंगाई आने वाले दिनों में और बढ़ सकती है। जनकारी के अनुसार अंतर्राष्ट्रीय बाजार से आयात महंगा होने के कारण आज भारत में खाद्य तेलों के दाम में वृद्धि देखी जा रही,लेकिन इससे देश के किसानों को तिलहनों का ऊंचा भाव मिल रहा है, जिससे वे तिलहनों की खेती करने को लेकर उत्साहित होंगे।अगर खाद्य तेल के मामले में आत्मनिर्भर बनना है तो किसानों को प्रोत्साहन देना ही पड़ेगा जो कि उन्हें उनकी फसलों का बेहतर व लाभकारी दाम दिलाकर किया जा सकता है।