अपराध के खबरें

विश्वविद्यालय में कोई नियम कानून नही,माफिया राज कायम


 राजेश कुमार वर्मा संग आर०के० राय

 दरभंगा,बिहार (मिथिला हिन्दी न्यूज कार्यालय ) । ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा में कोई नियम कानून नहीं बल्कि माफियाओं का राज काम है । मामला छात्रों का हो या शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारियों का सब के सब माफियाओं से परेशान दिखाई दे रहे हैं ।
 विश्वविद्यालय प्रशासन कहीं ना कहीं इन माफियाओं के सामने घुटना टेके नजर आते हैं या इनके संरक्षण में माफिया राज कायम है और वो ही सारा काम कर रहे है । विश्वविद्यालय के पास अपना नियम कानून नहीं होता है तो वह कार्य बिहार सरकार के नियमानुसार किया जाना चाहिए । परंतु विश्वविद्यालय उस कानून और नियम को लागू करने का प्रयास करता है जिस नियम कानून से उनका हित होता है । इस खबरों में आपको ले चलते हैं कि कुलसचिव /उपकुलपति कुलपति एवं अन्य विश्वविद्यालय प्रशासन के साठगांठ से नियमों का धज्जियां उड़ाने से संबंधित मामलों की ओर जानकारी के अनुसार बिहार सरकार के नियमों के अनुसार 08 किलोमीटर के भीतर रहने वाले शिक्षकों एवं कर्मचारियों को आवास नहीं मिलना है तो उन्हें सरकारी आवास किसके आदेश से और किस नियम के तहत विश्वविद्यालय प्रशासन की मिलीभगत से दी गई है । चर्चा यह है कि विश्वविद्यालय दरभंगा में कोई नियम कानून नहीं बल्कि जिसकी लाठी उसकी भैंस वाली कहावत चरितार्थ हैं । विश्वविद्यालय परिसर में इस नियमों के तहत विश्वविद्यालय प्रशासन के मिलीभगत से कई दर्जन नाजायज रूप से भवनों पर अवैध कब्जा किए जाने की भी खबर है । कई ऐसे शिक्षकों एवं कर्मचारी हैं जो कई वर्ष पहले अवकाश प्राप्त कर चुके हैं । इसके बावजूद क्वार्टर खाली नहीं कर रहे हैं परंतु विश्वविद्यालय प्रशासन मौन साधे हुए हैं । ना तो कुलपति या न ही कुलसचिव और ना ही अन्य विश्वविद्यालय प्रशासन की नींद टूट रही है । जिस कारण विश्वविद्यालय को प्रति माह लाखों रुपए के नुकसान हो रहा है । ऐसी हालात में विश्वविद्यालय को देखने वाला कौन होगा । कहना मुश्किल सा लगता है। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा के प्रशासन विश्वविद्यालय को लूटवाने और लूटने के सिवाय कोई काम नहीं करते नजर आते हैं । प्रति वर्ष विश्वविद्यालय को लाखों रुपए की सरकारी राजस्व की चूना लगाते जाते रहे हैं । प्रति वर्ष किसी ना किसी समारोह के नाम पर करोड़ों रुपए की निकासी कर विश्वविद्यालय को लूटने की धंधा जारी है । यह तमाम राशि छात्रों से विभिन्न योजनाओं के नाम पर प्रति वर्ष वसूले जाते रहे हैं । जिसका उपयोग अपने निजी स्वार्थ में विश्वविद्यालय प्रशासन करती आ रही है । ऐसा सुनने वो देखने को खुलेआम मिल जाता हैं। समस्त्तीपुर से राजेश कुमार वर्मा

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