रोहित कुमार सोनू
सीतामढ़ी :-सीतामढ़ी जिले मे शहर में रिहायशी क्षेत्रों में अवैध रूप से चल रहे कोचिंग सेंटर आम लोगों के लिए मुसीबत बन गए हैं। न तो इनका पंजीयन है और न ही इन्हें खोलने के लिए कोई स्थान सुनिश्चित किया गया है। यह कोचिंग संचालक अभिभावकों से मनमानी फीस वसूलते हैं। जबकि इन्होंने कोचिंग सेंटर संचालित करने के लिए संस्थान का पंजीयन तक नहीं कराया है।कोचिंग सेंटर पर वाहन खड़े के लिए पार्किंग व्यवस्था भी नहीं है। शहर के अधिकांश वार्डों में बिना पंजीयन वाले कोचिंग सेंटर रहवासियों के लिए परेशानी का सबब बनते जा रहे हैं। खास बात यह है कि कोई भी शासकीय शिक्षक बच्चों को ट्यूशन नहीं पढ़ा सकता, लेकिन शहर के अधिकांश शासकीय शिक्षक अपने घरों पर बेधड़क ट्यूशन पढ़ा रहे हैं। एक अनुमान के मुताबिक जिले के पुपरी, सुरसंड, रून्नरसैदपुर, चोरौत, डुमरा, बाजपट्टी, नानपुर बथनाहा, रीगा में करीब 200 कोचिंग सेंटर संचालित हो रहे हैं। जानकारी के अनुसार कि जिले में केवल 20 से 25 सेंटर वैध संचालित हैं। बांकी के पास रजिस्ट्रेशन है कि नहीं इसका कोई जवाब शिक्षा विभाग के पास नहीं है। सरकारी शिक्षक भी चला रहे हैं निजी कोचिंग सीतामढ़ी जिले के सरकारी स्कूलों के शिक्षक अच्छा वेतन लेने के बाद भी शहर में अपने घरों पर ट्यूशन पढ़ा रहे हैं। सबसे खास बात है कि इसकी जानकारी शिक्षा विभाग के आलाधिकारी को भीहै। लेकिन उसके बाद भी वे कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। समाजसेवी एंव अधिवक्ता रितेश कुमार गुड्डू का कहना है कि शासन के नियमनुसार सरकारी शिक्षक ट्यूशन नहीं पढ़ा सकते हैं। यह नगर में शासकीय शिक्षक बच्चों को कोचिंग पढ़ा रहे हैं तो यह गैरकानूनी है। शिक्षा विभाग को ऐसे शिक्षकों पर कार्रवाई करना चाहिए। यदि किसी शिक्षकों को पढ़ाना है तो वे अपने घर पर निशुल्क कोचिंग दे।इन अवैध कोचिंग सेंटरों के चलने से विद्यालय में अध्यापक अपना अध्यापन कार्य ठीक से नहीं करते जिसके कारण स्कूलों में अधिकतर क्लासों में छात्र-छात्राओं की संख्या कम होती जा रही है।इन विद्यालयों के अधिकतर बच्चे कोचिंग सेंटरों में जाकर पढ़ाई करते हैं। यह कोचिंग सेंटर अवैध रूप से संचालित किए जा रहे हैं। जिसके कारण सरकार को भी आर्थिक रूप से नुकसान उठाना पड़ता है।