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दाम्पत्य जीवन में दरार का एक कारण बेटी के माता पिता भी हो सकते है : पंकज झा शास्त्री


राजेश कुमार वर्मा

दरभंगा/मधुबनी, बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज कार्यालय ) ।दाम्पत्य जीवन में दरार का एक कारण बेटी के माता पिता भी हो सकते है । मधुबनी निवासी समाजसेवी ज्योतिष पंकज झा शास्त्री जी कहते है की आज कल दाम्पत्य जीवन में दरार अधिक संख्या मे देखी जा रही है! वेसे तो दरार होने के कई कारण हो सकते है परंतु आपसी पति पत्नी मे दरार का एक मुख्य कारण लड़की के मायके पक्ष के माता पिता भी हो सकते है और इस बात पर ध्यान दिया जा सकता है तथा इस बात की प्रमाणिकता को समझी जा सकती है ! आज कल आधुनिक युग मे मोबाइल फोन का उपयोग सदुपयोग से ज्यादा दुरुपयोग अधिक किया जा रहा है जिस पर ध्यान देने की आवश्यकता है! आज दुल्हन कुछ छोटी मोटी बात को छोर कर सब कुछ परिपूर्ण के बाबजूद ससुराल पक्ष का ख्याल कम और मायके पक्ष तथा अपने माता पिता से लगाव ज्यादा रखती है! वेसे माता पिता से भी लगाव रखनी चाहिए परंतु विवाह उपरांत आवश्यकता से अधिक दाम्पत्य जीवन मे दरार का कारण बन सकता है! कई बार देखने या सुनने को मिलता है कि ससुराल मे दुल्हन को छोटी मोटी दिक्कत होने या अन्य कोई बात के कारण के बाद लड़की के माता पिता द्वारा अपने बेटी और दामाद को प्रताड़ित किया जाता है! दामाद द्वारा बात को अनदेखी करने के बाद बेटी को अपने यहां ले जाकर ससुराल के विरोध मे उकसाया जाता है! जिस कारण दंपती को आपसी तालमेल न होने के कारण दोनों मे अलगाव हो सकता है! इतना ही नहीं कुछ माता पिता द्वारा अपनी आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण वह अपने बेटी या दामाद पर निर्भर हो सकते है जिस कारण बेटी का विवाह नाम मात्र के लिए करते है और कुछ ही दिनों तक बेटी को ससुराल मे बसने देना चाहते होंगे और जीवन भर अपने बेटी या दामाद के कमाई से अपना गुजर करना चाहते होंगे!
यदि बेटी के ससुराल पक्ष या पति के द्वारा बात के असहमत के बाद कई बार सुनने को मिलता है कि पत्नी द्वारा या माता पिता द्वारा अपने बेटी के साथ मिलकर ससुराल पक्ष पर गम्भीर आरोप लगा कर सनाह दर्ज करबा दिया जाता है ताकि पति या दामाद से खर्च मिलता रहे या दंपती को सन्तान है तो कम से कम उसके नाम पर पति के संपति मे हिस्सा मिले! अक्सर य़ह कार्य शायद वहीं लोग करते होंगे जिनके इज्जत मे दुर्गंध हो वेसे भारतीय संस्कृति मे सम्मान को समझने बाले लोग इस तरह के घिनौनी हरकत के बारे मे सोच भी नहीं सकते! ऐसा भी सुनने को मिलता है कि अधिकतर समय तक यदि पत्नी अपने मायके या विवाह के बाद माता पिता द्वारा बेटी को बार बार जब अपने यहां ले जाया जाता है तो पति द्वारा चुपके से दूसरी विवाह कर लिया जाता है या पति गलत रास्तों पर कदम रख लेता है जो बहुत दिनों तक किसी को पता नहीं चल पाता जो बहुत देरी हो जाने के कारण पति पत्नि मे दरार का कारण हो सकता है! इतना ही नहीं कभी कभी यह भी सुना जाता है कि यदि पत्नी अधिकतर मायके रहती है और पति के द्वारा हाल की जानकारी नहीं ली जाती तो पत्नी कोई जरूरी नहीं कि सही तरीके से धन अर्जित कर या रहे वह भी गलत तरीके से कदम आगे बढ़ा लेती है और इस गलत कदम मे उनके माता पिता ही जिम्मेदार होंगे जो बाद मे पति द्वारा पत्नि पर जीवन भर अविश्वास पैदा करने पर मजबूर कराते होंगे! इसके बाद की परिस्थित गंभीर हो जाती है फिर सम्भालने की चाह मे भी नहीं सम्भाल पता!
कई बार पत्नी द्वारा या पत्नी के माता पिता द्वारा अपनी फायदा के लिए जो झूठी सनाह दर्ज कराया जाता है इसमे जांच के बाद झूठ साबित होने पर उल्टा जेल हो सकता है! आज भारत के कई जेलों मे झूठी केस दर्ज करवाने के कारण महिलाये सलाखों के पीछे बंद है!
कुल मिलाकर कहने का तात्पर्य यह है कि लड़की के माता पिता अपने बेटी को विवाह उपरांत देख रेख कर सकते है परंतु बेहतर यहि होगा कि अपने बेटी के ससुराल पक्ष के घरेलु सामंजस्य मे दखल न दे! अन्यथा परिणाम पति पत्नी के साथ दो घर के परिवारों मे भी गम्भीर हो सकते है!साथ ही दुल्हन को भी चाहिए कि वह घर संसार उज़रने से बचाए! जो महिलाये अपने अपने घर संसार नहीं समझ सकती वह सायद अपने घर के साथ कई घरों को उजारने मे माहिर हो सकती है! जवानी तो तत्काल पिता के यहां काट लेती है परंतु जब वृद्धा व्यवस्था मे ससुराल के तरफ रुख करने के चाहत के वावजुद पति के तरफ से घर का दरबाजा बंद हो जाता है! फिर जीवन सिर्फ अंधेरा के सिवाय कुछ नहीं दिखता! हर माता पिता अपने बेटी को ससुराल को समझने के लिए प्रेरित करे! अन्यथा बेटी के घर को उजारने मे हो सकता है कि आप जिम्मेदार हो या आपकी सोच मे दुर्गंध हो!

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