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मीडिया का गिरता अस्तर बाजारवाद के दौर का मीडिया अपनी विश्वसनीयता खो रहा है या फिर वाकई मीडिया पर बाजारवाद वर्चस्व बना


आधुनिक युग में मीडिया का विस्तार जरूर हुआ है, परंतु इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि मीडिया का गिरता अस्तर बहुत बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है ।

राजेश कुमार वर्मा

दरभंगा/मधुबनी, बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज  कार्यालय ) । आधुनिक युग में मीडिया का विस्तार जरूर हुआ है, परंतु इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि मीडिया का गिरता अस्तर बहुत बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है!
पहले कोई भी खबर प्रकाशित होती थी, तो इसका असर कई क्षेत्रों में देखा जा सकता था । परंतु अब इसका सकारात्मक असर कम ही देखने को मिलता है!
जैसे लगता है कि मीडिया क्षेत्र से जुड़े मात्र कुछ लोग किसी के गोद मे खेल रही है! गोदी मीडिया के चलते जनता को सही खबर की जगह पेड खबर ज्यादा देखने को मिलता है । ऐसी आशंका हम जरूर कर सकते है ! पेड खबर हम उसे कह सकते है जो किसी व्यक्ति या राजनीति दल के पक्ष में हवा बनाने के लिए परोसा जाता है!
अब सबाल य़ह है कि क्या बाजारवाद के दौर का मीडिया अपनी विश्वसनीयता खो रहा है या फिर वाकई मीडिया पर बाजारवाद वर्चस्व बना चुका है .? आज के युग में किसी ईमानदार और सच्चे पत्रकार का कलम चलना दूभर हो गया है! विशेषकर सोशल मीडिया के ज़माने में तकरीबन य़ह नामुमकिन सा ही लगता है!
पत्रकारों के अलावा इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि आम जनता तक पहुंचने के लिए सोशल मीडिया एक असरदार जरिए के रूप मे उभरा है! अब लोग अखबार, टेलीविजन और रेडियो पर निर्भर नहीं रहे! कई लोग सोशल मीडिया का भरपूर लाभ उठा रहे है, परंतु य़ह भी कह सकते है कि सोशल मीडिया का इस्तेमाल धड़ल्ले से गलत और झूठी सूचना फैलाने के लिए खूब किया जा रहा है । यह भी एक चिंता का विषय बनता जा रहा है!
वास्तव में सही से देखा जाय तो इस आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता कि कुछ मीडिया जगत के लोग चाय और समोसे के बल पर ही अपनी नैतिकता को बेचने पर मजबूर हो जाते होंगे ! देश के चौथे स्तंभ कहे जाने वाले मीडिया जो वास्तव में देश की ताकत है! आज मीडिया के क्षेत्र में मात्र कुछ लोगों के द्वारा जिसे हम किसी पार्टी, दल या व्यक्ति विशेष का रखैल कह सकते है! कुछ लोगों ने मीडिया का अस्तर इस तरह गिरा दिया है कि मीडिया के क्षेत्र से जुड़े निष्ठावान लोगों पर भी संदेह करने पर हम मजबूर होने लगे है!
हम य़ह कह सकते है कि बेशक आधुनिक युग मे मीडिया का विस्तार हुआ है परंतु इनसे जुड़े मात्र कुछ लोगों के कारण ही इसके विश्वनियता पर सवाल उठाया जा रहा और उठाया जा सकता है ! समस्त्तीपुर से राजेश कुमार वर्मा

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