रोहित कुमार सोनू
प्याज की बढ़ती कीमत के सामने चिकन सस्ता पड़ने लगा है। नया साल में शहर के बाजारों में प्याज की कीमत 120 रुपये प्रति किलो तक है। वहीं मुर्गा का कीमत 150/140 रुपए हैं बिक्री न होने से मुर्गों का वजन भी बढ़ रहा है, जिनकी बाजार में कम डिमांड है।
पहले गोश्त में सबसे सस्ता बीफ था, लेकिन आज यह मुर्गें से भी महंगा बिक रहा है। पॉल्ट्री फार्म ने बताया कि प्याज के कारण चिकन की सेल 20 प्रतिशत तक रह गई है। पहले एक दिन में 500 पीस बिक जाया करते थे, जबकि अब महज 100 पीस ही बिक रहे हैं।
चुकी आज नया साल है प्याज महंगा होने के कारण से मुर्गों का वजन भी बढ़ता जा रहा है। इससे पॉल्ट्री फार्म के संचालक बेहद परेशान हैं। जब प्याज सस्ती थी तब पहले जो मुर्गा एक किलो का था, अब उसका वजन लगभग 1.700 किलो हो चुका है। पॉल्ट्री फार्म के संचालक का आंकलन है कि मार्केट में डिमांड बढ़ने में अभी सात दिन से अधिक लगेंगे। तब तक मुर्गों का वजन लगभग दो किलो हो जाएगा, लेकिन इतने वजनी मुर्गों की डिमांड काफी कम होती है। ऐसे में रेट ज्यादा घटाने पड़ सकते हैं।
पोल्ट्री असोसिएशन के मुताबिक, शहर में चिकन और दूसरे गोश्त की 70 फीसदी खपत होटलों और रेस्त्रां में ही होती है। बाकी 30 फीसदी की बिक्री खुदरा बाजार में होती है। प्याज महंगा के कारण ग्राहक कम आने से होटलों में भी गोश्त की डिमांड कम हो गई है।
प्याज की बढ़ती कीमत के सामने चिकन सस्ता पड़ने लगा है। नया साल में शहर के बाजारों में प्याज की कीमत 120 रुपये प्रति किलो तक है। वहीं मुर्गा का कीमत 150/140 रुपए हैं बिक्री न होने से मुर्गों का वजन भी बढ़ रहा है, जिनकी बाजार में कम डिमांड है।
पहले गोश्त में सबसे सस्ता बीफ था, लेकिन आज यह मुर्गें से भी महंगा बिक रहा है। पॉल्ट्री फार्म ने बताया कि प्याज के कारण चिकन की सेल 20 प्रतिशत तक रह गई है। पहले एक दिन में 500 पीस बिक जाया करते थे, जबकि अब महज 100 पीस ही बिक रहे हैं।
आज के दिन है उम्मीद
चुकी आज नया साल है प्याज महंगा होने के कारण से मुर्गों का वजन भी बढ़ता जा रहा है। इससे पॉल्ट्री फार्म के संचालक बेहद परेशान हैं। जब प्याज सस्ती थी तब पहले जो मुर्गा एक किलो का था, अब उसका वजन लगभग 1.700 किलो हो चुका है। पॉल्ट्री फार्म के संचालक का आंकलन है कि मार्केट में डिमांड बढ़ने में अभी सात दिन से अधिक लगेंगे। तब तक मुर्गों का वजन लगभग दो किलो हो जाएगा, लेकिन इतने वजनी मुर्गों की डिमांड काफी कम होती है। ऐसे में रेट ज्यादा घटाने पड़ सकते हैं।
होटलों के सहारे चिकन बाजार
पोल्ट्री असोसिएशन के मुताबिक, शहर में चिकन और दूसरे गोश्त की 70 फीसदी खपत होटलों और रेस्त्रां में ही होती है। बाकी 30 फीसदी की बिक्री खुदरा बाजार में होती है। प्याज महंगा के कारण ग्राहक कम आने से होटलों में भी गोश्त की डिमांड कम हो गई है।